बंगाल में वामपंथ के सूरज के अस्त की घोषणा की थी अटल जी ने
-32 वर्षो पूर्व सिलीगुड़ी बाघाजतिन पार्क में भरी थी हु
कैचवर्ड .संस्मरण
राजेश 12,13 व 14
-32 वर्षो पूर्व सिलीगुड़ी बाघाजतिन पार्क में भरी थी हुंकार
-सभा के संयोजक को आज भी याद है उनकी हर बात
अशोक झा, सिलीगुड़ी : तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच भले ही नहीं हैं, परंतु सिलीगुड़ी से जुड़ी उनकी यादें हमेशा भाजपा और संघ से जुड़े लोगों के दिलों में रहेंगी। वे अपने 61वें जन्म दिवस के अवसर पर सिलीगुड़ी पहुंचे थे। 1986 में बाघाजतिन पार्क में उन्होंने भविष्यवक्ता की तरह घोषणा की थी कि बंगाल में वामपंथियों की बादशाहत ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी। उस समय इस सभा के संयोजक रहे शहर के प्रमुख व्यवसायी भगवती प्रसाद डालमिया को आज भी उनके द्वारा कही गई हर बात याद है।
करीब 78 वर्षीय भगवती प्रसाद डालमिया ने बताया कि भाजपा नेता विदेश मजुमदार, व्यापारी राम कुमार अग्रवाल और श्याम सुंदर टिबड़ेबाल ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया था। इसके पूर्व हम चारों लोग सिलीगुड़ी से भाजपा की वर्ष 1984 में पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने दिल्ली पहुंचे थे। वहां अटल जी को सिलीगुड़ी आने का निमंत्रण दिया था। उन्होंने इसे स्वीकार किया था। पार्टी फंड की आवश्यकता को देखते हुए एक लाख रुपये की मांग भी की गई थी। सिलीगुड़ी के मंच से वाजपेयी ने कहा था कि घबराने की जरूरत नहीं है, वामपंथ का सूरज अस्त होगा। रक्तपात से किसी का भला नहीं होने वाला। अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे इस क्षेत्र में घुसपैठ और राष्ट्रविरोधी तत्वों से भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं को सजग रहने को कहा था। कार्यकर्ताओं से ¨हसा की राजनीति से दूर रहने का आह्वान किया था। मंच से कहा था कि मैं रहूं या ना रहूं, पर संसद में दो सदस्यों की संख्या वाली इसी भाजपा का हर तरफ साम्राज्य होगा। भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि संख्या बल को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। रास्ता कितना ही अंधेरा से घिरा क्यों नहीं हो, उसे दूर करने के लिए एक दीपक ही काफी है। वे बहुत ही विनोदी स्वभाव के थे। मंच पर ही उन्हें शहर के व्यापारियों से संग्रह किए गए 61 हजार रुपये का ड्राफ्ट भेंट किया गया तो उन्होंने कहा .अरे बात तो एक की थी, यह तो मात्र 61 ही है। अगर भाषण में भी मैं कटौती कर दूं तो कैसा रहेगा? अपनी बात पर हमलोगों को चिंतित होता देख वे खिलखिलाकर हंस पड़े थे। मुझे मंच से बोलने का अवसर मिला था। उस समय मेरे द्वारा कहा गया था कि जिस विश्वास से वाजपेयी जी हमलोगों के बीच पहुंचे है, उससे ऐसा लगता है कि वे आने वाले दिनों में देश के प्रधानमंत्री जरूर बनकर रहेंगे? ऐसा हुआ भी और लगातार उनसे हर अवसर पर पत्राचार होता रहा।