अंनत चतुर्दशी पर की गई सुख शाति की कामना
-कोरोना काल में कहीं भी सामूहिक पूजन नहीं -घरों में ही की गई श्रीहरि की पूजा अर्चना
-कोरोना काल में कहीं भी सामूहिक पूजन नहीं
-घरों में ही की गई श्रीहरि की पूजा अर्चना
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना काल में विशेष सावधानी के साथ अनंत चतुर्दशी मनाई गईं । इसको लेकर महिलाएं ज्यादा उत्साहित नजर आई। घरों और मंदिरों में कथा की गई। इस दिन चौदह गाठ लगाकर बाजू पर अनंत पहना गया। सुख शाति की कामना की गई। महिलाओं का कहना था कि अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत पहनने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। वही पंडित श्रीपति मिश्रा ने बताया कि इस दिन अनंत भगवान की पूजा की गई जिन्हें श्रीहरि के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संसार को चलाने वाले अनंत प्रभ़ु कण-कण में अनंत रूप में व्याप्त है। दुनिया के पालनहार प्रभु की अनंतता को बोध कराने वाला एक कल्याणकारी व्रत है। अवसर को लेकर एक से एक खूबसूरत अनंत महिलाओं द्वारा पहने गए 14 गाठ लगाई गई। कोरोना महामारी को देखते हुए महिलाओं ने घरों पर ही अनंत को बनाया है। ताकि वे पूरी तरीके से सुरक्षित राह सके। घरों में भी अनंत चतुर्दशी के अवसर पर पूजा अर्चना की गई।
इधर, कोरोना प्रोटोकॉल के कारण इस वर्ष बहुत ही कम जगहों पर सामूहिक पूजा हुई। अहले सुबह से ही पंडित जी द्वारा घर-घर जाकर अनंत पूजा की गई। इस दौरान लोगों ने पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार पूजा-अर्चना कर कथा श्रवण किया। इसके बाद अपने दाएं हाथ के बाजू पर सिद्ध किया गया अनंत बाधा। इस दौरान खीरा और पंचामृत का प्रसाद विशेष रूप से ग्रहण किया गया। पंडित यशोधर झा ने बताया कि भगवान विष्णु के स्वरूप धागा से बने 14 गाठ वाले अनंत सूत्र के पूजा के बाद उसे दाहिने हाथ के बाजू पर बाधे जाने का नियम पौराणिक काल से है। धागा से बने 14 गाठ वाले अनंत भगवान विष्णु ने 14 लोक भू, भुव:, स्वह, जन, तप, सत्य, यह, तल, अतल, बीतल, सुतल, तलाताल, रसातल, पाताल की रचना के प्रतीक हैं। इन 14 लोकों के पालन और रक्षा के लिए भगवान श्री हरि विष्णु स्वयं 14 रूपों में प्रकट हुए थे और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अनंत फल देने वाले अनंत चतुर्दशी का व्रत मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि 14 वर्षो तक लगाता अखंड स्वरूप में अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से साक्षात विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। सभी मनोकामना पूरा होता है और मान-सम्मान, धन-धान्य, सुख-संपदा, संतान आदि सभी मनोरथ पूरा होता है।