25 लाख से भी अधिक की जनसंख्या पर मात्र दस एंबुलेंस
-लंबी हो रही है वेटिंग लिस्ट - आफत में कोरोना मरीजों की जान -नगर निगम इलाके की हाल
-लंबी हो रही है वेटिंग लिस्ट
- आफत में कोरोना मरीजों की जान
-नगर निगम इलाके की हालत तो और भी खराब
-सिर्फ तीन एंबुलेंस से चल रहा है 47 वार्डो का काम
-कई सालों से स्थाई मेडिकल ऑफिसर तक नहीं विपिन राय,सिलीगुड़ी:
पिछले कुछ दिनों के दौरान सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाकों में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हांलाकि गनीमत यह है कि जिस रफ्तार से मरीजों की संख्या बढ़ रही है उसी रफ्तार से मरीज ठीक भी हो रहे हैं। लेकिन आने वाले दिनों में समस्या बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। दूसरी ओर कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बाद भी अस्पतालों एवं बेड की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। अभी मुख्य रूप से कोरोना मरीजों की चिकित्सा माटीगाड़ा के चेंग नìसग होम और कवाखाली के डिसन नìसग होम में हो रही है। दोनों अस्पतालों को राज्य सरकार ने अधिगृहित किया है। ऐसे इक्का-दुक्का निजी नर्सिग होम भी कोरोना की चिकित्सा कर रहे हैं।
पहले जब मरीजों की संख्या कम थी तब समस्या उतनी अधिक नहीं थी। अब जब मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो समस्या बढ़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसी में से एक समस्या है एंबुलेंस की समस्या। कोरोना मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए अब एंबुलेंसों की कमी पड़ रही है। यही कारण है कि मरीज की जाच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी अस्पताल में भर्ती कराने में काफी समय लग जाता है। सरकारी एंबुलेंस के लिए वेटिंग लिस्ट लगातार बढ़ रही है।
मिली जानकारी के अुनसार ना केवल सिलीगुड़ी बल्कि दाíजलिंग एवं कालिम्पोंग जिले को मिलाकर सरकारी एंबुलेंसों की संख्या करीब 10 है। यह अपने आप में आश्चर्यजनक है। क्योंकि पूरे दाíजलिंग जिले के साथ-साथ कालिमपोंग जिला एवं सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके को मिला दे तो कुल आबादी 25 लाख से अधिक होगी। जबकि इतनी बड़ी आबादी पर एंबुलेंस मात्र 10 है। वह भी तब जब अभी कोरोना का संकट चल रहा है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार अभी सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में अगर कोई मरीज कोरोना संक्रमित होता है तो उसे सिलीगुड़ी नगर निगम के एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जाता है। सिलीगुड़ी नगर निगम के दाíजलिंग जिले में आने वाले वोर्डो के लिए कुल 2 एंबुलेंस हैं। जबकि 14 वार्ड जो जलपाईगुड़ी जिले में आते हैं वहा के लिए एक एंबुलेंस। यानी सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके के लिए मात्र तीन एंबुलेंस ही हैं। इन एंबुलेंस से ही कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। बल्कि अन्य रोगियों को भी अस्पताल पहुंचाने में इसी एंबुलेंस का उपयोग होता है। इससे कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में देरी तो होती ही है। साथ ही दूसरे मरीजों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ता है। ऐसे सिलीगुड़ी नगर निगम के लिए एंबुलेंस की समस्या कोई नई नहीं है। यहां चिकित्सा सेवा पूरी तरह से चरमरा गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नगर निगम के पास स्थाई मेडिकल ऑफिसर तक नहीं है। 5 और एंबुलेंस देने की माग स्वास्थ्य विभाग से काफी पहले ही की गई है। कैसे मिलती है कोरोना मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा
स्वास्थ्य विभाग का एक कार्यालय सिलीगुड़ी महकमा परिषद में भी है। यहीं से कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है। इसकी जिम्मेदारी डॉ संजीव मजूमदार संभाल रहे हैं। यदि किसी मरीज की कोरोना जाच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे अस्पताल भेजने के लिए सरकारी एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है। स्वास्थ्य विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आम तौर पर 50 साल से कम उम्र तथा कम लक्षण वाले मरीजों को डॉक्टर चेंग कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। यदि मरीज की उम्र 50 साल से अधिक होती है और वह थोड़ा क्रिटिकल होता है तो उसे कावाखाली के डिसन अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। इस मामले में डॉ संजीव मजूमदार से बातचीत करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पाई। ऐसे अभी भी जिले में कम से कम 5 से 10 और एंबुलेंस की आवश्यकता है। दाíजलिंग जिले के सीएमओएच डॉ प्रलय आचार्य ने इस बात को माना भी है। पहाड़ पर मरीज कम तो संकट भी कम
एंबुलेंस का जितना संकट सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में है, उतना संकट पहाड़ पर नहीं है। क्योंकि पहाड़ पर मरीजों की संख्या कम है। दाíजलिंग, कíसयाग,कालिम्पोंग आदि इलाके में अभी कम मरीज मिले हैं। हालाकि पहाड़ के मरीजों की चिकित्सा भी सिलीगुड़ी के अस्पतालों में ही होती है। इन्हें सरकारी अस्पतालों के एंबुलेंस से कोविड अस्पताल शिफ्ट कर दिया जाता है। एंबुलेंस की ज्यादा समस्या सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके के मरीजों को हो रही है। कुछ दिनों पहले 17 नंबर वार्ड का एक वृद्ध कोरोना से संक्रमित हुआ था। आरोप है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 2 दिन बाद उसे अस्पताल में शिफ्ट किया गया। कई अन्य स्थानों पर भी पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी मरीजों को देर से अस्पताल में भर्ती कराने की शिकायत मिली है। इसके पीछे मुख्य समस्या एंबुलेंस की है। कम एंबुलेंस होने के कारण एंबुलेंस ड्राइवर भी परेशान हैं। उन्हें लगातार काम करना पड़ रहा है। ये ड्राइवर तो पिछले 4 महीने से लगातार मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं। वह घर तक नहीं जा पा रहे हैं। बुखार पीड़ितों को निचोड़ रहे हैं निजी एंबुलेंस वाले
कोरोना मरीजों को सिर्फ सरकारी एंबुलेंस से ही शिफ्ट किया जाता है। निजी एंबुलेंस वाले कोरोना मरीजों को अस्पताल नहीं ले जा रहे हैं। लेकिन साधारण बुखार वाले मरीज अगर मिल जाएं तो निजी एंबुलेंस वाले उन्हें निचोड़ लेते हैं। ऐसी कई शिकायतें जिला स्वास्थ्य विभाग के पास भेजी गई है। कोरोना का आतंक ऐसा है कि आमतौर पर बुखार होते ही लोग घबरा जाते हैं। आलम यह है कि परिवार के लोग भी मरीज के साथ अस्पताल जाना नहीं चाहते। ऐसे में सिलीगुड़ी के कुछ निजी एंबुलेंस वाले बुखार पीड़ित मरीजों को नìसग होम ले जाते हैं। अगर एक नìसग होम में चिकित्सा नहीं हुई या फिर डॉक्टर कोराना टेस्ट कराने कह दे तो मरीज के कमर आíथक रूप से टूट जाती है। जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बुखार पीड़ित मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस वाले 3 से चार हजार रुपये ले रहे हैं। यदि यदि वहा से मरीज को टेस्ट कराने के लिए किसी लैब या एनबीएमसीएच का वीआरडीएल लैब रेफर कर दिया गया एंबुलेंस वाले वहा तक पहुंचाने के लिए ढाई से 3000 और ले लेते हैं। -----------------
सिलीगुड़ी नगर निगम को कम से कम 5 और एंबुलेंस की तत्काल आवश्यकता है। अभी तीन एंबुलेंस से कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। अन्य मरीजों के लिए भी एंबुलेंस की व्यवस्था करनी पड़ती है। राज्य स्वास्थ्य विभाग को काफी पहले एंबुलेंस देने की माग की गई है। लेकिन अभी तक इसका कोई लाभ नहीं हुआ है।
- शकर घोष,प्रभारी,स्वास्थ विभाग, सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासनिक बोर्ड ------------------- पहाड़ पर फिलहाल एंबुलेंस की समस्या नहीं है। कोरोना मरीजों को सरकारी एंबुलेंस से ही कोविड अस्पताल भेजा जा रहा है। अभी तक एंबुलेंस नहीं मिलने की शिकायत किसी ने नहीं की है। पहाड़ पर 1902 नंबर के एंबुलेंस से कोरोना मरीजों को अस्पताल भेजा जा रहा है।
बिन्नी शर्मा,प्रभारी,जीटीए हेल्प डेस्क जिस प्रकार की आबादी है उस मुकाबले में एंबुलेंस कम है। 5 से 10 और एंबुलेंस की आवश्यकता है। राज्य स्वास्थ्य विभाग को इस बात की जानकारी दे दी गई है। 5 एंबुलेंस की व्यवस्था तत्काल की जा रही है। यदि सिलीगुड़ी नगर निगम को और एंबुलेंस चाहिए तो लिखित में दें,एंबुलेंस की व्यवस्था की जाएगी।
डॉ प्रलय आचार्य,सीएमओएच, दार्जिलिंग मरीजों को अगर अस्पताल में भर्ती होना ही हो तो एंबुलेंस का उपयोग नहीं कर अपनी गाड़ी का उपयोग कर अस्पताल जाना चाहिए। क्योंकि सरकारी एंबुलेंस से संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है। सरकार के पास सीमित साधन हैं। आमलोगों को जागरूक रहने की आवश्यता है,जिसमें कमी देखी जा रही है।
-सोमनाथ चटर्जी,सलाहकार,वेस्ट बंगाल वॉलंटरी ब्लड डोरन फोरम