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एक मजदूर से पद्मश्री बने बंगाल के 'एंबुलेंस दादा' ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में मचाई धूम

एंबुलेंस दादा के नाम से मशहूर एक मजदूर से पद्मश्री बने बंगाल के जाने-माने समाजसेवी करीमुल हक ने एक जनवरी को देश के लोकप्रिय टी.वी. रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति में धूम मचाई। यह स्पेशल शो कर्मवीर करीमुल हक व प्रशांत गाड़े के मानवता भरे बेमिसाल कर्मों को समर्पित था।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 12:43 PM (IST)
एक मजदूर से पद्मश्री बने बंगाल के 'एंबुलेंस दादा' ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में मचाई धूम
बंगाल के 'एंबुलेंस दादा' ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में मचाई धूम

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। एक मजदूर से पद्मश्री बने उत्तर बंगाल के जाने-माने समाजसेवी करीमुल हक उर्फ 'बाइक एंबुलेंस' उर्फ 'एंबुलेंस दादा' ने नए साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को देश के लोकप्रिय टी.वी. रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति में धूम मचाई। 'कर्मवीर' स्पेशल एपिसोड में उन्होंने इनाली फाउंडेशन के संस्थापक प्रशांत गाड़े संग मिलकर 25 लाख रुपये जीते। इसमें हॉट सीट पर बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने करीमुल हक की खूब मदद की। केबीसी का यह स्पेशल शो 'कर्मवीर' करीमुल हक व प्रशांत गाड़े के मानवता भरे बेमिसाल कर्मों को समर्पित था। 

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 शो के होस्ट मेगा स्टार अमिताभ बच्चन ने इन कर्मवीरों का परिचय देते हुए कहा कि इनाली फाउंडेशन के संस्थापक प्रशांत गाड़े अपनी इस संस्था के जरिये प्रोस्थेटिक हाथ बना कर जरुरतमंदों को निःशुल्क मुहैया कराते हैं। वहीं, करीमुल हक एम्बुलेंस दादा के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी बाइक को एम्बुलेंस बना कर उससे हजारों  मरीजों को निःशुल्क अस्पताल पहुंचाने की सेवा अंजाम दी है। उन्होंने शो के दौरान दोनों कर्मवीरों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कहा कि, दुनिया भले ही इनकी नेकी को इंसानियत कहे, हम इसे ‘हिन्दुस्तानियत’ का नाम देते हैं। 

 समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ी मिसाल

उल्लेखनीय है कि 'एंबुलेंस दादा' के नाम से मशहूर करीमुल हक जलपाईगुड़ी के जिले के माल प्रखंड के राजाडांगा ग्राम पंचायत अंतर्गत धलाबाड़ी गांव के निवासी हैं। वह समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ी मिसाल बन चुके हैं। अपने आस-पास के दर्जनों गांवों के गरीब जरूरतमंदों को पिछले दशक भर से भी ज्यादा समय से वह निःशुल्क बाइक एंबुलेंस सेवा देते आ रहे हैं। अब तक उन्होंने लगभग चार हजार लोगों को निःशुल्क बाइक एंबुलेंस सेवा दी है। उनके झोंपड़ीनुमा घर में ही निःशुल्क क्लिनिक भी चलता है जहां लोगों की कुछ स्वास्थ जांच भी हो जाती है और दवाएं भी मिल जाती हैं। इसके अलावा यहां-वहां से जुटा कर नए-पुराने कपड़े, दाना-पानी, किताब-कलम व कॉपी आदि से भी वह जरूरतमंदों की सेवा करते रहते हैं।

 करीमुल हक की कहानी बड़ी दिलचस्प

कई जरूरतमंद विकलांगों का घर बनवाने में भी उन्होंने बड़ी सहायता की है। अब वह अपने घर के पास ही अपनी पुश्तैनी जमीन पर गांव के लोगों को चिकित्सा परिसेवा देने के लिए एक तीन मंजिला अस्पताल भी बनवा रहे हैं। करीमुल हक की कहानी बड़ी दिलचस्प है। वह पेशे से एक चाय बागान मजदूर हैं। एक निम्न वर्ग से ताल्लुक रखने के बावजूद उनकी सोच शुरु से ही समाज सेवा की दिशा में बहुत ऊंची रही। इसे तब और ज्यादा बल मिल गया जब एक घटना ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी। यह 1995 की बात है। एक दिन देर रात करीमुल की मां जफीरुन्निसा को दिल का दौरा पड़ा। वह यहां-वहां बहुत दौड़े पर कोई संसाधन न मिला। मां को अस्पताल न पहुंचाया जा सका सो मां चल बसीं। 

 उस घटना ने करीमुल को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। तब, उन्होंने प्रण लिया कि किसी को भी संसाधन के अभाव के चलते वह मरने नहीं देंगे और लोगों की स्वास्थ्य सेवा में जुट गए। शुरु-शुरु में रिक्शा, ठेला, गाड़ी, बस जो मिला उसी से रोगियों को अस्पताल पहुंचाने का काम करने लगे। उनके एंबुलेंस दादा बनने की कहानी कुछ यूं है कि वर्ष 2007 में एक दिन चाय बागान में काम करने के दौरान करीमुल का एक साथी मजदूर गश खाकर गिर पड़ा। उन्होंने आनन-फानन में बागान प्रबंधक की बाइक ली व उसे अस्पताल ले गए। उसी घटना से बाइक एंबुलेंस का आइडिया आया। 

 पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल से शुरु कर दी फ्री बाइक एंबुलेंस सेवा

एक पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल खरीदी और शुरु कर दी फ्री बाइक एंबुलेंस सेवा। एक बार एक्सीडेंट के शिकार भी हुए जिसके चलते उनका एक पांव आज तक थोड़ा छोटा व टेढ़ा है। उस समय एक्सीडेंट से मोटरसाइकिल भी बेकार हो गई। तब, यहां-वहां से जैसे-तैसे करके पैसे जुटा कर वर्ष 2009 में उन्होंने एक नई बाइक खरीदी और अपनी निःशुल्क एंबुलेंस सेवा को और बेहतर कर दिया। इसके बावजूद उन्हें ताने भी सुनने पड़े। कई ऐसे लोग रहे जिन्होंने शुरू-शुरू में उन्हें नौटंकी, पगला, आदि कह कर ताने भी कसे। मगर, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने जज्बे को डिगने नहीं दिया। समाज सेवा को पूरी मेहनत व लगन से दिन-रात जारी रखा। फिर, वही हुआ जो होना था। उनकी मेहनत रंग लाई। उनके जज्बे को चहुंओर सराहना मिलने लगी। उनकी ख्याति उनके गांव की सीमा से बाहर भी जगह-जगह फैलने लगी और भारत सरकार के कानों तक जा पहुंची।

वर्ष 2017 में  पद्मश्री से नवाजा

फिर, वर्ष 2017 में भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा। उसके बाद करीमुल हक की शोहरत सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जा पहुंची। इधर, बॉलीवुड भी उनके प्रभाव से अछूता नहीं रहा। अब बहुत जल्द उनकी जीवनी सिल्वर स्क्रीन के माध्यम से सबके सामने होगी। उनके जीवन पर अब फिल्म बनने जा रही है। खूब संभावना है कि शाहरुख खान या फिर सोनू सूद इस फिल्म के नायक हो सकते हैं। अपनी बायोपिक को लेकर करीमुल हक उर्फ 'एंबुलेंस दादा' का जाने-माने फिल्म लेखक व निर्देशक विनय मुद्गिल और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता 'सिनेयुग' कंपनी के कर्णधार करीम मोरानी संग करार हस्ताक्षरित हो चुका है।


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