हाथियों के झुंड ने महिला को कुचला, मौत
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने इंसानों और हाथियों के सह-अस्तित्व पर सेमिनार आयोजन किया था। इसी दौरान हाथियों के झुंड ने महिला को कुचल दिया, उनकी मौत हो गई।
कोलकाता, जेएनएन। बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर में वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फेडरेशन (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने इंसानों और हाथियों के सह-अस्तित्व पर सेमिनार का आयोजन किया था। इसी दौरान वहां हाथियों के झुंड ने एक महिला को कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। इस घटना से हर कोई अचंभित है, क्योंकि हाथियों का झुंड कभी इंसानों पर हमला नहीं करता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि घटना के समय वहां करीब 70 हाथियों का झुंड मौजूद था, जिसमें से 15-16 की संख्या में हाथियों के बच्चे भी थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक जब महिला जंगल पहुंची होंगी तो हाथी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर डर गए होंगे और इस वजह से घटना को अंजाम दिया होगा। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के डॉ. ऐश्ले ब्रुक्स ने कहा, इस मामले की उचित जांच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
वन विभाग ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की सहायता से इंसानों और हाथियों के सह-अस्तित्व पर सेमिनार का आयोजन किया था। हालांकि सेमिनार की शुरुआत से पहले ही गौरीबाला महतो (45) नामक महिला की मौत की खबर आ गई।
आक्रामक हाथियों के झुंड के खौफ की वजह से वन अधिकारी दो घंटे की मशक्कत के बाद महिला के शव को वहां से निकालने में कामयाब हुए। मेदिनीपुर वन विभाग के निदेशक रवींद्रनाथ साहा ने कहा, सामान्य तौर पर हाथी कभी इंसानों पर हमला नहीं करते हैं। वे उस स्थिति में भी हमलावर नहीं होते हैं, जब उनपर कोई हमला करे। जंगली हाथी ही ज्यादातर इंसानों पर हमले करते हैं।
जो कुछ भी हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हम मृत महिला के परिजनों को मुआवजा देंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाथियों के हमलों से लोगों की मौत को नियंत्रित करने संबंधी निर्देश वन विभाग को दिए हैं।
हालांकि वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार हाल के दिनों में हाथियों का स्वभाव और प्रवृत्ति बदली है। हाथी पहले तो 2-4 महीनों तक रुक जाते थे, लेकिन अब सालों में कभी-कभार दिखते हैं।