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कोरोना व लॉकडाउन ने लील लिया बकरा बाजार

-कई लोगों ने बकरों की खरीद-बिक्री के लिए अपनाया ऑनलाइन माध्यम -गत वर्ष की तुलना में डेढ़ से

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:17 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:17 PM (IST)
कोरोना व लॉकडाउन ने लील लिया बकरा बाजार
कोरोना व लॉकडाउन ने लील लिया बकरा बाजार

-कई लोगों ने बकरों की खरीद-बिक्री के लिए अपनाया ऑनलाइन माध्यम

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-गत वर्ष की तुलना में डेढ़ से दो गुनी ज्यादा रही बकरों की कीमत जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : आगामी शनिवार एक अगस्त को इस्लाम धर्मावलंबियों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरईद) मनाया जाएगा। मगर, इस बार कोरोना संकट व लॉकडाउन संकट के चलते बकरईद के त्योहार व इससे संबंधित बाजार विशेष कर बकरा बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सिलीगुड़ी शहर व आसपास में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) की रोकथाम हेतु गत 16 से 22 और 23 से 29 अगस्त तक लगातार 14 दिनों तक लॉकडाउन रहा। इसके चलते कहीं भी बकरा बाजार नहीं लग पाया। ऐसे में मुस्लिम धर्मावलंबियों को कुर्बानी हेतु बकरा खरीदने में काफी मशक्कतों का सामना करना पड़ा। वैसे, इस बार बकरों की खरीद-बिक्री में गहरी मंदी भी छाई हुई है। एक बकरा व्यवसायी कालू साहा ने बताया कि इस बार बहुत ही बुरी स्थिति है। पहले के वर्षो में हम लोग बकरईद में 50 से 100 बकरे बेच देते थे। मगर, इस बार बहुत ही कम बकरों की बिक्री हो पाई है।

गौरतलब है कि इस बार कोरोना संकट व लॉकडाउन संकट के चलते बकरा की खरीद-बिक्री के लिए कहीं भी बाजार उपलब्ध नहीं हो पाया। सिलीगुड़ी शहर व आसपास में गत 16 से 29 जुलाई तक लगातार लॉकडाउन रहा। इधर, 30 जुलाई से अनलॉक-3 शुरू हो जाने के मद्देनजर भले ही बाजार कुछ-कुछ खुले हैं लेकिन लोग कोरोना सतर्कता के मद्देनजर पहले की तरह बाजारों में आने-जाने से कतरा रहे हैं। इसीलिए, इस बार कई बकरा व्यवसायियों ने बकरा बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की सुविधा को अपनाया।

फेसबुक, मैसेंजर और व्हाट्सऐप पर कारोबार

फेसबुक, मैसेंजर, व्हाट्सऐप आदि माध्यमों से भी बकरों की खरीद-बिक्री की खबर है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के विभिन्न ग्रुप में बकरे के फोटो के साथ ही नस्ल, उम्र, बनावट, वजन, रंग, मूल्य आदि ब्योरा पेश किया जाता है। जिस सदस्य को अपने जरूरत के मुताबिक बकरा पसंद आता है वह संबंधित मालिक से संपर्क करता है। इसके बाद बकरों को विक्रेता के घर जा कर प्रत्यक्ष देखा जाता है। मोल-भाव के बाद खरीद-बिक्री तय हो जाती है। कई बार तो वॉट्सऐप पर ही बात बन जाती है। इस वर्ष कोरोना संकट व लॉकडाउन संकट के चलते लोगों की जेबें खाली हैं। इस वजह से बकरों की खरीद-बिक्री भी कम है। वहीं, बकरों की कीमत में भी आग लगी हुई है।

कितनी बढ़ी कीमत

गत वर्ष जिस वजन और आकार के बकरे की कीमत आठ से 10 हजार रुपये थी वैसे ही बकरों की इस वर्ष कीमत 12 से 15 हजार रही। यहा तक कि 20 से 30 हजार तक के रेंज में मध्यम श्रेणी के बकरों की खरीद-बिक्री हुई।


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