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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मौसमी की बढ़ी मांग

-फिलहाल रेगुलेटेड मार्केट में आवक काफी कम -आंध्र प्रदेश से सिर्फ एक या दो गाड़ी मौसम

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 09:40 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 06:20 AM (IST)
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मौसमी की बढ़ी मांग
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मौसमी की बढ़ी मांग

-फिलहाल रेगुलेटेड मार्केट में आवक काफी कम

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-आंध्र प्रदेश से सिर्फ एक या दो गाड़ी मौसमी की आवक जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना संकट के इस काल मे लोगों को मौसमी खूब भा रहा है। लेकिन उत्तर बंगाल की सबसे बड़ी थोक मंडी सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मौसमी की माग को पूरा नहीं करा पा रहा है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होने की वजह से फिलहाल आध्र प्रदेश के खट्टे मौसमी की माग अधिक है। वैसे मौसमी औषधीय गुणो से भी भरपूर है। पूरे विश्व मे ताडव कर रहे कोरोना वायरस से बचने के लिए फिलहाल अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना सबसे बड़ा हथियार है। विशेषज्ञों के अनुसार शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में विटामिन सी का बड़ा योगदान है। विटामिन सी खट्टे फलों मे अधिक मात्रा मे पाया जाता है। विटामिन सी के लिए मौसमी का सेवन काफी फायदेमंद है। यही कारण है कि सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल मे मौसमी कि माग काफी बढ़ी है। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के फल व्यापारियों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष भर मौसमी की माग रहती है। कोरोना के इस दौर मे मौसमी कि माग काफी बढ़ी है। लेकिन आढ़ती माल कम मंगा रहे हैं। 8 से दस गाड़ी मौसमी रोजाना खपत करने वाले इस मंडी मे फिलहाल 1 से दो गाड़ी ही मौसमी की आवक हो रही है। यहां बताते चले कि एक गाड़ी मे 15 से 20 टन मौसमी होती है। आवक कम होने की वजह से मौसमी की कीमत मे 10 से 12 रुपए प्रति किलो की बढ़ोत्तरी हुई है। थोक मंडी मे कीमत बढ़ने से खुदरा बाजार मे मौसमी की कीमत में भारी उछाल आया है। सिलीगुड़ी के खुदरा बाजार मे मौसमी फिलहाल 60 से 70 रुपए प्रति किलो बिक रही है। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के मौसमी आढ़तिया बाबुल पाल चौधरी ने बताया कि मौसमी की माग हमेशा ही रहती है। कोरोना के इस काल मे मौसमी कि माग काफी बढ़ी थी। लेकिन ईवेन-ऑड फार्मूले कि वजह से व्यापारी माल कम मंगा रहे हैं। उन्होने आगे बताया की इस समय आध्र प्रदेश से मौसमी की आवक होती है। आध्र की मौसमी खट्टी होती है, लेकिन इसका छिलका पतला होने की वजह से रस अधिक होता है। वहीं जून के अंत से नागपुर वाली मौसमी की आवक शुरू होगी। आध्र के मुक़ाबले नागपुर वाली मौसमी मीठी होती है। लेकिन इसका छिलका मोटा होने की वजह से आध्र वाली मौसमी के मुक़ाबले रस कम होता है।


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