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एनबीयू में विशेष सेमिनार आयोजित

-छायावाद को लेकर की गई विशेष चर्चा -विभिन्न कॉलेजों के विशेषज्ञ हुए शामिल जागरण स

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 08:21 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 08:21 PM (IST)
एनबीयू में विशेष सेमिनार आयोजित
एनबीयू में विशेष सेमिनार आयोजित

-छायावाद को लेकर की गई विशेष चर्चा

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-विभिन्न कॉलेजों के विशेषज्ञ हुए शामिल जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय, हिदी विभाग के तत्वावधान में गुरुवार को छायावाद : विविध संदर्भ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मौके पर उपस्थित अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण देते हुए उत्तर बंग विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार द्विवेदी ने छायावाद के संदर्भ में अपनी बातें रखी।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से आए प्रो आशीष त्रिपाठी जी ने कहा कि छायावाद केवल चार कवियों की कविता, युगबोध, चेतना मात्र तक सीमित नहीं। कोई भी घटना अचानक नहीं होती। यह धीरे-धीरे आती और जाती है। आगे उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर छायावाद का संघर्ष ज्ञानोदय रहा। साथ ही इस दौर की कविता जनतात्रिक होने की कविता रही। छंद से मुक्ति को उन्होंने इसके पीछे का कारण बताया।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर मुक्तेश्वर नाथ तिवारी ने कहा कि छायावाद की परिधि बहुत व्यापक है। छायावाद मे कविता से अधिक कवियों पर ध्यान जाता है। यहां कवि को दूसरों का मैं अपना लगने लगता है। मैं की प्रधानता - निराला, पंत, प्रसाद और महादेवी में हैं। हिंदी विभाग की प्रोफेसर मनीषा झा ने विषय प्रस्तावना करते हुए कहा कि छायावाद हिंदी कविता की महत्वपूर्ण धारा है। इसे आधुनिक युग का स्वर्ण युग कहा जाता है। छायावाद विषय और शैली दोनों स्तर पर विशिष्ट है। छायावाद सामाजिक, सास्कृतिक तौर पर उथल - पुथल लेकर आया। क्या आज के समय में छायावाद प्रासंगिक है या हमेशा की तरह उपेक्षित है। इस पर विचार करना जरुरी है।

प्रथम तकनीकी सत्र में कर्सियाग कॉलेज, दार्जिलिंग के हिंदी विभाग से आए प्राध्यापक प्रशात सरकार ने भी अपने विचार रखे। उत्तर बंग विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ विजय कुमार प्रसाद ने छायावाद की प्रमुख प्रवृत्ति व्यक्तिवाद पर केंद्रित अपना वक्तव्य रखा। द्वितीय सत्र में हिंदी विभाग घोषपुकुर कॉलेज से आयी डॉ विजया शर्मा ठक्कर ने निराला के काव्य की वैविध्यपूर्णता पर अपनी बात कही। हिंदी विभाग घोषपुकुर कॉलेज से आयी पूजा प्रभा एक्का ने राम की शक्तिपूजा व धर्म की अधर्म पर विजय शीर्षक द्वारा अपनी बात कही। सिक्किम विश्वविद्यालय, गंगटोक से आये डॉ दिनेश कुमार साहू ने स्वाधीनता की चेतना और छायावाद विषय पर अपनी बात रखी। इस मौके पर एनबीयू संगोष्ठी को एनबीयू हिदी विभाग के सहायक अध्यापक डॉ सच्चिदानंद कौशल, साहित्यकार भीखी प्रसाद 'वीरेंद्र', ओम प्रकाश पाडे, देवेन्द्र नाथ शुक्ल, डॉ विनय कुमार पटेल, मंटू कुमार साव, गौतम सिंह राणा, भैरव सिंह, गोविंद यादव, ब्रजेश कुमार चौधरी, पंकज साह, एमरेंसिया खाल्को, सरोज लामा, पिंकी झा, दुर्गावती प्रसाद, अनिल कुमार गुप्ता, विभा मंडल, डॉ. मनोज विश्वकर्मा एवं डॉ. सुनील कुमार द्विवेदी भी उपस्थित थे।


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