पर्यटन मंत्री के बयान को लेकर हिल्स में गर्माइ राजनीति
- विनय तामांग ने कहा पूजा के बाद मुख्यमंत्री के साथ इस मामले में होगी बैठक - जापा अध्यक्ष पर्यट
- विनय तामांग ने कहा पूजा के बाद मुख्यमंत्री के साथ इस मामले में होगी बैठक
- जापा अध्यक्ष पर्यटन मंत्री के बयान की कड़ी निंदा की
जेएनएन, दार्जिलिंग/कालिम्पोंग : असम में एनआरसी मामले ने मानो पूरे देश में भूचाल खड़ा कर दिया है। चारों ओर विभिन्न दलों के नेताओं से एक के बाद एक प्रतिक्रिया आ रही है। ऐसे में राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव द्वारा मिरिक में एनआरसी लागू होने के बारे में दिए गए बयान को लेकर हिल्स में राजनीतिक गर्मा गई है। मंत्री गौतम देव ने कहा था कि अगर एनआरसी लागू होता है तो दार्जिलिंग पहाड़ में एक भी लोग नहीं रहेंगे। अब सवाल यह उठता है कि क्या पहाड़ के लोग नेपाल या फिर किसी अन्य देश से आये है। मंत्री के इस बयान को लेकर पूरे दिन हिल्स में चर्चा का विषय बना रहा।
इस मामले में जन आदोलन पार्टी के अध्यक्ष डॉ हर्क बहादुर छेत्री ने कहा कि मंत्री ने यह बातें अज्ञानता के कारण कही है। मंत्री गौतम देव को अपने इलाके के इतिहास नहीं पता है। 1924 में दार्जिलिंग में गोरखा भर्ती केंद्र था, जो अंग्रेज आने पर रिकॉर्ड में आया। पहाड़ के 200 साल का इतिहास यहां के लोगो के पास है। 1930 से 1960 तक के मतगणना देखने पर 64600 के करीब बंगाली एवं राजबंशी थे, तो वही नेपाली 2.89 लाख थे।
उन्होंने कहा कि टीएमसी को वोट चाहिए। यहां समस्या यह है कि 200 साल आगे आये लोगों के पास दस्तावेज़ नहीं है। सभी सरकार ने यहां के लोगों को नजर अंदाज किया है। सरकार की कोई भी योजना यहां पर आने में सालों लग जाती है। जब तक हम दूसरों पर निर्भर है तब तक कुछ नहीं हो सकता।
वही क्रामाकपा आचलिक समिति के अध्यक्ष किशोर प्रधान ने कहा कि पहाड़ से इंद्रणी, सावित्री , शहीद दल बहादुर गिरी , पहाड़े गाँधी तथा भारत के संविधान में हस्ताक्षर करने वाले बैरिस्टर अड़ी बहादुर गुरुंग कहां से आए। उन्होंने कहा कि गौतम देव को अपने इस बयान को वापस लेना चाहिए। राज्य की मुख्यमंत्री को इस पर संज्ञान लेते हुए मंत्री गौतम देव पर कार्रवाई करनी चाहिए। वही विमल खेमा के युवा मोर्चा के सयोजक तोपदेन भूटिया ने मंत्री गौतम देव के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि उनके इस बयान से बंगाल सरकार के गोरखा एवं पहाड़ प्रति के रवैया दिखने की बात कहते हुए सभी राजनैतिक, अराजनैतिक संगठन को इसके विरोध में आगे आना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जीटीए में रहने वाले हाल में असम में एनआरसी पीड़ितों से मिलकर सहानभूति से ज्यादा राजनैतिकरण करने वाले को मंत्री के बयान पर क्या बोलेंगे। केकेएस सचिव विष्णु छेत्री ने कहा कि जीटीए के नेतृत्व के मुख में क्या ताला लगा हुआ है जो मंत्री के बयान पर एक शब्द नहीं बोल रहे है।
वही दूसरी ओर एनआरसी मसले में दार्जिलिंग में पत्रकारों से बातचीत करते हुए गोजमुमो अध्यक्ष विनय तामांग ने कहा कि बंगाल में एनआरसी लागू के विरोध में पूजा के बाद मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व व गोजमुमो नेतृत्व के साथ बैठक करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में वे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भेंजकर यहां की समस्याओं से अवगत कराएंगे। असम में केवल गोरखा ही नहीं बंगाली बोड़ो का नाम भी एनआरसी से छूट गया है। इस मामले में बंगाल सरकार से बातचीत करके समस्या का हल निकाला जाएगा। देश की आजादी के लिए जान न्यौछावर करने वाले लोगों का नाम नहीं छूटना चाहिए। तामांग ने आगे कहा कि एनआरसी मामले में राजनीतिक पार्टियां रोटी न सेंककर इस लागू प्रक्रिया का विरोध करने की अपील की है।