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ढांचागत सुविधाओं की कमी से जूझ रही है एनडीआरएफ

-10 साल पुराने उपकरणों से चल रहा है काम -डीजी ने तत्काल आधुनिकीकरण पर दिया जोर -जवान

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 07:45 PM (IST)
ढांचागत सुविधाओं की कमी से जूझ रही है एनडीआरएफ
ढांचागत सुविधाओं की कमी से जूझ रही है एनडीआरएफ

-10 साल पुराने उपकरणों से चल रहा है काम

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-डीजी ने तत्काल आधुनिकीकरण पर दिया जोर

-जवानों की संख्या भी बढ़ाने की आवश्यकता

- सिलीगुड़ी में रीजनल सेंटर के नए भवन का उद्घाटन जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी:नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स एनडीआरएफ के पास ढांचागत सुविधाओं की कमी है। आवश्यक उपकरण भी काफी पुराने हो चुके हैं। ऐसी परिस्थिति में प्राकृतिक आपदा के समय राहत और बचाव कार्य में काफी परेशानी होती है। अब धीरे-धीरे ढांचागत सुविधाओं में विकास का काम चल रहा है। यह बातें एनडीआरएफ के महानिदेशक डीजी एसएन प्रधान ने कही। वह बुधवार को माटीगाड़ा के परिवहन नगर में एनडीआरएफ रीजनल रिस्पांस सेंटर के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एनडीआरफ को अभी भी दस साल पुराने उपकरणों से काम करना पड़ रहा है। समय के साथ एनडीआरएफ को अधिक आधुनिक बनाने की जरूरत है। अब जमाना डिजिटल हो गया। एनडीआरएफ को डिजिटल उपकरणों की जरूरत है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में ओडिशा में आए तूफान के बाद राहत एवं बचाव कार्य में उपकरणों की कमी का सामना करना पड़ा। तूफान में हजारों पेड़ सड़क पर गिरे थे। पेड़ों के गिरने से बिजली पोलो और तारों को नुकसान पहुंचा था। रास्ते भी बंद थे। बिजली सेवा तबतक बहाल नहीं हो सकती थी,जबतक कि पेंड़ काटकर हटा नहीं देते। मोटी तनाओं और पेंड़ों को काटने के समय आधुनिक उपकरणों की कमी साफ महसूस की गई। उन्होंने कहा कि तब का समय कुछ और था और अब का समय कुछ और। जो उपकरण दिए गए थे,वो तब कि हिसाब से थे। अब ना केवल प्रकृतिक आपदाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है अपितु मनुष्य की गलतियों से भी आमलोगों को आपदाओं का शिकार होना पड़ता है। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों के गिरने की घटनाएं भी काफी बढ़ गई है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए एनडीआरएफ के आधुनिकीकरण का काम तेजी से चल रहा है। सिलीगुड़ी में नए भवन का उद्घाटन भी उसी दिशा में उठाया गया कदम है। यहां एनडीआरफ की दो टीमें रहेगी। पचास से साठ जवान तो हमेशा यहां रहेंगे। उन्होंने एनडीआरएफ में जवानों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया।

डीजी प्रधान ने आगे कहा कि सिलीगुड़ी काफी महत्वपूर्ण शहर है। उत्तर बंगाल में कहीं भी आपदा की स्थिति में यहा से तत्काल पहुंचना संभव हो सकेगा। आपदा में सबसे महत्वपूर्ण है समय पर राहत एवं बचाव कार्य शुरू हो जाना। जितनी जल्दी बचाव टीम पहुंचेगी उतनी जल्दी काम शुरू होगा। इससे अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है।

नए भवन के उद्घाटन के मौके पर सिलीगुड़ी के पुलिस कमिश्नर त्रिपुरारी ए,सीआरपीएफ के डीआईजी अनिल कुमार सहित विभिन्न अ‌र्द्धसैनिक बलों के आला अधिकारी उपस्थित थे।

आमलोगों को भी प्रशिक्षण

किसी भी आपदा की स्थिति में आमलोग भी राहत एवं बचाव कार्य में हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए एनडीआरएफ ने आमलोगों को भी प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है। स्कूलों को भी इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। स्कूल के ही एक शिक्षक को मास्टर ट्रेनर बनाया जा रहा है। वही शिक्षक अन्य शिक्षकों तथा बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे।


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