प्रत्येक इंसान तक पहुंचे जागरूकता : डा. अभिजीत राय
पोलिथीन पर रोक लगे नहीं तो होगी परेशानीजागरण विमर्श
जागरण विमर्श का लोगो लगेगा
.......................................... -इंसान के साथ जानवरों के लिए भी जहर है पॉलिथीन बैग
--सख्ती के साथ निष्पक्ष रूप से कदम उठाना आवश्यक
-केंद्र सरकार गंभीर,प्रधानमंत्री मोदी भी हैं चिंतित
-पूर्वोत्तर को बचाने के लिए सबको मिलकर करना होगा सहयोग
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : इन दिनों पश्चिम बंगाल में हर ओर कोई एनआरसी का विरोध तो कोई समर्थन की बात कर रहा है। लेकिन पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले सिलीगुड़ी में प्लास्टिक व पॉलिथीन पर प्रतिबंध के लिए लोग आवाज बुलंद नहीं कर रहे है। यह गंभीर चिंता का विषय है। राजनीतिक नफा नुकसान नहीं देखकर जनहित के काम को सभी सरकार को मिलकर करना चाहिए।अब इसे नहीं बंद किया तो इंसान ही नहीं पशु, पक्षी, वन्य जीव जंतुओं को बचाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए जरूरी है कि प्लास्टिक से मुक्ति के लिए प्रत्येक इंसान को इससे होने वाले नुकसान के संबंध में जागरूक किया जाए। यह कहना है उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. अभिजीत राय व विज्ञान मंच के वरिष्ठ सदस्य शंकर कर का। दोनों दैनिक जागरण कार्यालय में लोकप्रिय परिचर्चा सत्र जागरण विमर्श में बतौर अतिथि अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। विषय था प्लास्टिक से मुक्ति कैसे मिले?। चर्चा के दौरान बताया कि इस मुद्दे पर देश के प्रधानमंत्री ने चिंता जताई है। यह अच्छी पहल है। देश का मुखिया जब इसको लेकर कोई सख्त कानून और जन जागरुकता की आवाज बुलंद करे तो निश्चित ही देश के ज्यादातर लोग इसके प्रति चिंतन प्रारंभ करेंगे। सरकार इसको लेकर कई महत्वपूर्ण फैसला भी ले सकती है। देश में अभी सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है। प्लास्टिक के कप, गिलास, पानी बोतल, बोतल पर लगे रैपर आदि को तुरंत बंद करना चाहिए। सिंगल रिसाइकल्ड की कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है। यह सबसे ज्यादा घातक है। अब तक देश के अंदर ज्यादातर राज्यों में शिक्षित लोगों को भी यह जानकारी नहीं है कि कौन सा प्लास्टिक हानिकारक है और कौन नहीं। इसको जानना जरूरी है। चर्चा में जब यह बात सामने आई कि प्लास्टिक व पॉलिथीन के कारण किस क्षेत्र को ज्यादा नुकसान हो रहा है पर कहा कि समुद्र के निकट और वन्य क्षेत्र में सिंगल पॉलिथीन पर पूरी तरह रोक लगे। प्लास्टिक फाइबर बनाने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड निकलकर वायुमंडल में मिलती है। इससे पेड़ पौधों के साथ फसलों को भी नुकसान होता है। पॉलिथीन भी प्लास्टिक का ही रूप है। इसके 50 हजार बैग बनाने पर करीब 16 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में घुल जाती है। इसके अलावा मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन और हाइड्रोकार्बन का वायु में रिसाव होता है। प्लास्टिक की अधिक उम्र पर्यावरण व वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है। प्लास्टिक में मौजूद पॉली एथिलीन यानि पॉलिथीन एथिलीन गैस बनाता है। इसमें पॉली यूरोथेन नामक रसायन पाया जाता है। इसके अलावा इसमें पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) भी पाया जाता है। प्लास्टिक अथवा पॉलिथीन को जमीन में दबाने से गर्मी पाकर वह विषाक्त रसायन जहरीली गैस पैदा करता है। कई बार तो जमीन के अंदर विस्फोट भी हो जाता है। इसके खिलाफ पहले से कानून बना हुआ है। केंद्र सरकार के रिसाइक्लड प्लास्टिक मैन्युफेक्चर एंड यूसेज रूल्स के तहत वर्ष 1999 में 20 माइक्रोन से कम मोटाई के रंगयुक्त प्लास्टिक बैग के प्रयोग व निर्माण पर रोक है। इसके बाद 50 माइक्रोन को लेकर भी सख्ती हुई। जबकि आज भी यह धड़ल्ले से बाजार में बिक रहा है।
इसके प्रति प्रतिदिन जागरूकता अभियान प्रत्येक स्तर पर चलाने की आवश्यकता है। घर से बिना झोला के बाजार लोग नहीं निकलें। इस अभियान में महिलाओं और युवाओं को आगे बढ़ाना होगा। इसे राष्ट्रीय अभियान का रूप देना होगा। हमें उम्मीद है कि जिस प्रकार हमारे पूर्वजों ने बिना प्लास्टिक और पॉलिथीन बैग के साथ अपना जीवन स्वस्थ्य बनकर जिया है हमें भी जागरुक नागरिक बन इसे बाय-बाय करना होगा। जागरण विमर्श में अतिथि का स्वागत वरिष्ठ समाचार संपादक गोपाल ओझा ने किया। इस अवसर राघवेंद्र शुक्ल,अशोक झा व अन्य मौजूद थे।