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उत्तरकन्या अभियान पर ब्रेक,पुलिस के साथ झड़प

-तीनबत्ती मोड़ पर ही सबको रोक दिया गया -दो बेरीकेट तोड़े जाने के बाद गरमाया माहौल -

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 09:20 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 07:03 AM (IST)
उत्तरकन्या अभियान पर ब्रेक,पुलिस के साथ झड़प
उत्तरकन्या अभियान पर ब्रेक,पुलिस के साथ झड़प

-तीनबत्ती मोड़ पर ही सबको रोक दिया गया

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-दो बेरीकेट तोड़े जाने के बाद गरमाया माहौल

- दोनों पक्षों के बीच जमकर हुई नोक झोंक

-सड़क पर बैठे आंदोलनकारी,किया प्रदर्शन

-अंत में एक प्रतिनिधिमंडल को भेजा गया मिनी सचिवालय जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पश्चिमबंग बस्ती उन्नयन समिति दार्जिलिंग जिला द्वारा आहूत उत्तरकन्या अभियान पर पुलिस ने ब्रेक लगा दिया। मंगलवार को मिनी सचिवालय की ओर जा रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने तीनबत्ती मोड़ के निकट ही रोक दिया। वहां लगाए गये एक के बाद एक चार बेरीकेट को प्रदर्शनकारी नहीं तोड़ पाए। दो बेरीकेट तोड़े जाने के बाद वहां का माहौल गरमा गया। पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों के साथ कुछ देर तक हाथापायी भी होती रही। प्रदर्शनकारी आक्रोशित होकर सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन का नेतृत्व समिति के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह कर रहे थे। उनके साथ सचिव मोहम्मद अकबर अली, विधायक सह मेयर अशोक नारायण भट्टाचार्य, माकपा जिला सचिव जीवेश सरकार,मेयर परिषद सदस्य जय चक्रवर्ती, परिमल मैत्र,शंकर घोष, कमल अग्रवाल, मुंशी नुरुल इस्लाम, पार्षद रागिणी सिंह, प्रितकन्या विश्वास, गुलाब राय , काजल राय, राजेश छेत्री अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए विधायक सह मेयर अशोक नारायण भट्टाचार्य ने कहा कि जब से सत्ता में मां माटी मानुष की सरकार आई है तब से जन विरोधी कार्य में लगी है। लोगों की मुख्य सुविधाएं रोटी,कपड़ा और मकान भी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। रोजगार के लिए युवा दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं। रोटी के राशन को भी सिंडिकेट राज के कारण लूट लिया जा रहा है। जहां तक मकान देने की बात है उसके लिए आज गरीब बारिश में सड़क पर उतरने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि जब वाममोर्चा की सरकार थी,उस समय वह शहरी विकास मंत्री थे। एक कानून बनाया जिसमें जो जिस जमीन पर बसे हुए हैं, उन्हें उसका मालिकाना हक मिल जाए। वर्ष 2011 में वाममोर्चा सत्ता में नहीं रही। सत्ता से हटने के बाद वाममोर्चा के इस फैसले को नई सरकार ने बदल दिया। उसके बाद जमीन का पट्टा देने की प्रक्रिया शुरु हुई। लेकिन उसमें दलगत राजनीति स्पष्ट दिखाई देने लगी। यह सरकार गरीब हितैषी नहीं बल्कि गरीब विरोधी है। जन विरोधी सरकार अगर गरीबों के हक पर डाका डालना बंद नहीं करती है तो उसके खिलाफ आम लोगों को साथ लेकर पार्टी व्यापक आंदोलन करेगी। जीवेश सरकार ने कहा कि आज गरीब जमीन नहीं होने के कारण अपने घर के लिए तरस रहे हैं। यहां हाउसिंग फॉर ऑल, आमार बाड़ी, गीतांजलि जैसे प्रकल्प का लागू नहीं किया जा रहा है। यह कैसी मां माटी मानुष की सरकार है। इसे स्वयं गरीबों को जानना होगा। दिलीप सिंह और मुंशी नुरुल इस्लाम ने कहा कि सिलीगुड़ी को पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार कहा जाता है। इसे सबसे ज्यादा विकसित शहरों में रखा गया है। आश्चर्य की बात है कि आज भी शहर में 157 बस्तियां हैं। यहां रहने वाले लाखों लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गरीबों को जहां जगह मिला वह वहां वर्षो से बसे हुए है। जब गरीबों को जमीन का पट्टा देने की मांग उठायी जाती है तो इसे कोई रेल की जमीन तो कोई अन्य जमीन बताकर गरीबों को उजाड़ने की धमकी देता है। बस्ती उन्नयन समिति की मांग है कि सिलीगुड़ी महकमा में जो जिस जमीन पर बसा है उसे वहीं का पट्टा मुहैया कराया जाए। सरकार और प्रशासन को जनता की समस्या को देखना होगा। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने के बाद एक प्रतिनिधिमंडल उत्तरकन्या जाकर विभागीय आयुक्त को मांगपत्र सौंपा।


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