कंचनजंगा को फतह करने गया हावड़ा के पर्वतारोही की मौत
विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह करने गए हावड़ा के एक युवा पर्वातारोही कुंतल कांडार की अभियान में मौत हो गई है।
हावड़ा, जागरण संवाददाता। विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतह करने गए हावड़ा के एक युवा पर्वातारोही कुंतल कांडार की अभियान में मौत हो गई है। पहाड़ की चोटी के 20 मीटर दूर रहते ही वह अस्वस्थ पड़ गया। इस हादसे ने हावड़ा की महिला पर्वतारोही छंदा गायन की एक बार फिर से याद दिला दी है। साल 2014 के 20 मई को एेसे ही एक अभियान में छंदा गायन अपने दो शेरपा के साथ लापता हो गई थीं, जिनका आज तक कोई सुराग नहीं मिला।
गुरुवार की सुबह कुंतल की मौत की खबर के बाद परिवार समेत पूरे इलाके में शोक की लहर है। हावड़ा के बेंटरा थाना स्थित कांड़ारपुकुर लेन में कुंतल रहता था। परिवार में माता-पिता, भैया और भाभी हैं। कुंतल की बिगड़ी तबीयत के बारे में सुनकर बुधवार की रात से ही परिवार का बुरा हाल था। पूरी रात पूरा परिवार कुंतल की चिंता में जगा रहा।
गुरुवार की सुबह समाचर चैनलों के जरिए कुंतल की मौत की खबर से परिवार सदमें में है। बता दें कि कुंतल के पिता चंडीचरण कांड़ार राज्य सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। पिता भी कभी पर्वतों को फतह करने का जुनून रखते थे।
हिमाचल प्रदेश के अपर धर्मशाला के मून पिंक को उन्होंने फतह किया है। इसके अलावा कई अन्य पहाड़ी अभियानों को उन्होंने जीता है। अपने पिता से ही प्रेरणा पाकर छोटा बेटा कुंतल पर्वतारोही बना था। साल 2017 में 21 मई को कुंतल ने 8,848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह की थी। इस बार कंचनजंगा की चोटी पर चढ़ाई करने के अभियान पर निकला था।
कहा जाता है कि हिमालय की आठ हजारी चोटियों में कंचनजंगा बेहद जटिल व दुर्गम है। इस अभियान में पांच बंगाली युवकों का दल आठ अप्रैल को निकला था। इनमें चार को अभियान में सफलता मिली ,लेकिन कुंतल इस अभियान को पूरा नहीं कर पाया। मिली सूचना के अनुसार इस अभियान के एक और सदस्य की तबीयत बिगड़ने की जानकारी मिली है। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
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