पाक ए रमजान में खुलते हैं जन्नत के दरवाजे
Ramadan. मान्यता है कि इस माह में आसमान से पवित्र पुस्तक कुरान शरीफ को धरती पर लाया गया था।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : इस्लाम धर्म में रमजान माह का खास महत्व है। मान्यता है कि इस माह में आसमान से पवित्र पुस्तक कुरान शरीफ को धरती पर लाया गया था। पाक ए रमजान छह या सात मई से प्रारंभ होगा। पांच या छह मई को चांद नजर आ सकता है। 30 दिनों के लिए रोजा प्रारंभ हो जाएगा। इसे पाक ए रमजान भी कहा जाता है। इसे बरकतों और रहमतों का पाक माह भी कहा जाता है। इस महीने में माह काकहते है कि रमजान का महिना सब्र और सुकून का है।
कुरान शरीफ में कई जगह रोजा रखने को जरूरी बताया गया है। हाजी जाकीर अली ने बताया कि खुदा के हुक्म से सन दो हिजरी से मुसलमानों पर रोजा अनिवार्य किया गया। इसका महत्व इसलिए बहुत ज्यादा है क्योंकि रमजान में शब ए कद्र के दौरान अल्लाह ने कुरान जैसी नेमत किताब दी। रमजान में जकात दान का खास महत्व है। किसी के पास अगर सालभर उसकी जरुरत से ज्यादा नगदी और सामान है तो उसका ढाई फीसदी जमात यानि दान के रूप में गरीब या जरूरतमंदों के बीच दिया चाहिए। क्या है रोजा रोजा को अरबी भाषा में सौम कहा जाता है। सौम का मतलब होता है रूकना, ठहरना यानि खुद पर नियंत्रण या काबू पाना। यह वह महिना है जब हम भूख को शिद्दत से महसूस करते है और सोचते है कि एक गरीब इंसान भूख लगने पर कैसा महसूस करता होगा। बीमार इंसान, जो दौरान होते हुए भी कुछ नहीं खा सकता उसकी बेबसी को महसूस करते है। रमजान के महीने में रोजा रखने पर यह तर्क दिया जाता है कि इस महिला में लोग खुद को बुरी आदतों से दूर रखते है।
रोजा हमें सिखाता है कि हमें कोई काम नहीं करना चाहिए। रोजा संयम और समर्पण का नाम है। रोजेदार को पता है कि इस माह में उनके द्वारा जो भी नेक काम किया जाएगा उसका पुण्य 70 गुणा ज्यादा मिलेगा। इसके माध्यम से पूरे साल जाने अनजाने में हुए गुनाह के लिए रोजेदार खुदा से माफी मांगते है। सलामती के लिए दुआ मांगी जाती है। रमजान के नियम रमजान के पवित्र माह में सहरी का विशेष महत्व है। कुरान मुताबिक सके लिए सुबह सूरज निकलने से डेढ़ घंटे पहले जागना पड़ता है। कुछ खाने के बाद रोजा प्रारंभ होता है। शाम को सूरज डूबने के बाद रोजा खोला जाता है। इसके लिए समय निश्चित होता है। रमजान के दिनों में तरावीह की नमाज अदा की जाती है। यह समय रात्रि के लगभग नौ बजे का होता है। मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है।
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