बिना फिटनेस के वाहनों से बढ़ रहा वायू प्रदूषण
-जांच के नाम पर होती है लापरवाही, गलत प्रमाणपत्र देने वालों पर शिकंजा कसना जरुरी जागरण स
-जांच के नाम पर होती है लापरवाही, गलत प्रमाणपत्र देने वालों पर शिकंजा कसना जरुरी
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पर्यावरण और यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़े व्यावसायिक व निजी वाहनों की दुरुस्तगी व वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण की जांच जरूरी है। पूर्वोत्तर के इस प्रवेशद्वार में वाहन फिटनेस के नाम पर कोताही बरती जा रही है। राजनीतिक दबाव में अभी भी शहर में सैकड़ों ऐसे वाहन सड़क पर दौड़ रहे है जो पूरी तरह फीट नहीं है। बिना फिटनेस जांच के ही उन्हें प्रमाणपत्र मुहैया करा दिया जाता है। इस बात को लेकर कई बार विपक्षी दलों की ओर से विभागीय अधिकारी से इसकी शिकायत भी की है। खानापुरी करने के लिए कुछ अधिकारियों का तबादला किया गया जो ऐसे अधिकारी थी जो सही तरीके से जनता के लिए काम करते थे। आज स्थिति ऐसी है जिसके तहत शहर में बिना जांच के वाहन तेजी से दौड़ रही है। ऐसे वाहनों पर मोटर व्हेकिल एक्ट के तहत जांच कर प्रमाण पत्र देने तथा इस मामले में दोषी पाए गए वाहन मालिकों से जुर्माना वसूल करने का प्रावधान है। बड़े व्यावसायिक व निजी वाहनों के फिटनेस की जांच मोटर व्हेकिल एक्ट-192 के तहत की जाती है। इस जांच के तहत मुख्य रूप से स्पार्क प्लग, हेड लाइट बीम, अन्य लाइट्स, रिफ्लेक्टर्स, बल्बस, मिरर, भ्यू मीटर, सेफ्टी ग्लास, हार्न, साइलेंसर, विंड्स शिफ्ट विपर, एक्जहौर्स मशीन, ब्रेकिंग सिस्टम, स्टेयरिंग व स्पीडोमीटर आदि की जांच की जाती है। इस कानून के तहत नए वाहनों का प्रत्येक दो वर्ष में तथा पुराने वाहनों के लिए प्रत्येक वर्ष जांच कराकर प्रमाण पत्र लेना जरूरी होती है। इस कार्य में दोषी पाये जाने पर पांच सौ रुपये तक जुर्माना किया जा सकता है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण की जांच मोटर व्हेकिल एक्ट-190 (3) के तहत की जाती है। इसके तहत वाहन में प्रयुक्त इंधन के अनुपात में निकलने वाले कच्चे धुएं की जांच की जाती है। इस मामले में दोषी पाये जाने वाले वाहन मालिकों से 1000 रुपये से 5000 रुपये तक जुर्माना वसूल किया जा सकता है। इस संबंध में राज्य के परिवहन मंत्री ने चिंता जताते हुए आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया है।