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'27 की बैठक में नहीं निकला हल, तो बुरे होंगे हालात'

संवाद सूत्र, मिरिक : लगभग दो माह से बंद चल रहे पानीघाटा चाय बागान के गतिरोध पर 27 नवंबर को संयुक्त श

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 10:48 PM (IST)

संवाद सूत्र, मिरिक : लगभग दो माह से बंद चल रहे पानीघाटा चाय बागान के गतिरोध पर 27 नवंबर को संयुक्त श्रमायुक्त बैठक करने वाले हैं। यदि बैठक में सकारात्मक नतीजा नहीं निकला, तो हालात और भी बुरे होंगे। उक्त उद्गार गोजमुमो तराई की संयोजिका छिरिंग दाहाल ने व्यक्त किए। वे, बुधवार को पत्रकारों से बात कर रही थीं। उन्होंने कहा कि दो माह से बंद चल रहे बागान के श्रमिकों का धैर्य अब जवाब देता जा रहा है। बंदी के कारण 12 सौ से अधिक श्रमिकों के समक्ष रोजी रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। वहीं फीके दशहरे के बाद अंधकारमय दीपावली मनाने वाले इन परिवारों में आर्थिक एवं स्वास्थ्य समस्याएं भी घर करने लगी हैं। दाहाल ने कहा कि अच्छे कार्यो का दावा करने वाली वर्तमान राज्य सरकार चाय बागानों में कार्यरत श्रमिकों की समस्या को लेकर उदासीन है। अधिकार रहते हुए भी सरकार ने श्रमिकों की समस्या के समाधान को कोई पहल नहीं की। जिससे सरकार के श्रमिकों के प्रति सोच एवं रवैये का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आगामी बैठक में बागान खोलने संबंधी निर्णय नहीं होता है, तो बागान को बंद ही रहने दें। मोर्चा संयोजिका ने तौजी विभाग जीटीए को हस्तांतरित करने की मांग करते हुए कहा कि इससे तराई इलाकों में छोटे एवं मझोले उद्योगों की स्थापना कर बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि विभाग प्राप्त होने के बाद जीटीए के पास आवश्यक कदम उठाने की क्षमता होगी। पर्वतीय क्षेत्र का 70 फीसदी भूभाग चाय बागानों से घिरा हुआ है। श्रमिकों के पसीने से मुनाफा कमाने वाले मालिक, कुछ अधिक देने की बजाय निवाला छीनने पर ही तुले हैं। उन्होंने सरकार पर जीटीए समझौते की धज्जियां उड़ाने का भी आरोप लगाया।


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