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बगैर शपथ ग्रहण के राज्य सभा सांसद अर्पिता घोष को कार्य करने का निर्देश

कैचवर्ड प्रशासन -अर्पिता घोष ने अपना जमा किये हुए एक लाख 25 हजार रूपये मुख्यमंत्री राहत का

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 06:17 AM (IST)
बगैर शपथ ग्रहण के राज्य सभा सांसद अर्पिता घोष को कार्य करने का निर्देश
बगैर शपथ ग्रहण के राज्य सभा सांसद अर्पिता घोष को कार्य करने का निर्देश

कैचवर्ड : प्रशासन

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-अर्पिता घोष ने अपना जमा किये हुए एक लाख 25 हजार रूपये मुख्यमंत्री राहत कोष में किया जमा

-कई दिनों से शपथ ग्रहण समारोह का इंतजार कर रही थी अर्पिता घोष

-राज्य के पांच सीटों पर तृणमूल निर्विरोध जीत दर्ज की थी

-इस पद की गरीमा रखते हुए जनता की सेवा करूंगी

संवाद सूत्र,बालुरघाट : बालुरघाट की तृणमूल जिला अध्यक्ष व पूर्व लोकसभा सांसद अर्पिता घोष राज्य सभा सांसद का पद निर्विरोध जीत कर भी सेवा नहीं दे पा रही थी। वें शपथ ग्रहण समारोह का इंतजार कर रही थी। लेकिन कोरोना महामारी के कारण बगैर शपथ ग्रहण के गुरुवार को राज्य सभा से उन्हें ईमेल देकर अगले छह साल तक के लिए सेवा करने के लिए कहा गया।

अर्पिता घोष ने दैनिक जागरण को बताया कि वें जनता की अपेक्षा पर खड़ी उतरेंगी और इस पद की गरीमा को बनाए रखते हुए जनता के हित के लिए कार्य करेंगे। राज्य सभा सांसद ने आगे बताया कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए मैंने जिलाधिकारी के मार्फत अपने जमा किये एक लाख 25 हजार रूपये मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दी हूं। उन्होंने बताया कि जिला में राशन वितरण को लेकर काफी समस्या आ रही है। मुझे कई शिकायतें मिली है। इसे लेकर मैंने जिलाधिकारी निखिल निर्मल के साथ बैठक की हूं। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सांसद का उम्मीदवार तृणमूल की ओर से अर्पिता घोष को बनाया गया था। राज्य के पांच सीटों में चार पर तृणमूल के उम्मीदवार निर्विरोध विजयी हुए। एक सीट वाम-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार को मिला। निर्विरोध जीत के बाद अर्पिता घोष को अनुशंसा पत्र भी मिला। लेकिन शपथ ग्रहण नहीं होने के कारण वें अपनी सेवा नहीं दे पा रही थीं। बतादें कि वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में खड़ी होकर अपना राजनीति जीवन शुरू किया था। बालुरघाट की जनता ने उन्हें विजयी भी बनाया। लेकिन 2019 में तृणमूल जिला अध्यक्ष विप्लव मित्र के साथ आपसी गुटबाजी के कारण इसका फायदा भाजपा को हुआ। लोकसभा चुनाव में हारने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विप्लव मित्र को जिलाअध्यक्ष के पद से हटा दिया। चुनाव के घोषणा के दो दिन बाद अर्पिता घोष को जिलाध्यक्ष का पदभार दिया गया। बाद में विप्लव मित्र भाजपा में शामिल हो गए। जिला अध्यक्ष के पद पर रहकर अर्पिता घोष ने सबसे पहले संगठन को मजबूत किया। साथ ही वाम, कांग्रेस व भाजपा कार्यकर्ता को अपने पाले में लाया। मुख्यमंत्री जब भी दक्षिण दिनाजपुर आती है, वें अर्पिता घोष की प्रशंसा किये बिना नहीं थकती।

कैप्शन : जिलाधिकारी को चेक सौंपते हुए राज्य सभा सांसद अर्पिता घोष


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