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एक सप्ताह से गांव नहीं आ सके तृकां पार्षद

जागरण संवाददाता दुर्गापुर अब तक बंगाल की राजनीति में सुनने को मिलता था कि सत्तारूढ़ दल के

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 06:41 PM (IST)
एक सप्ताह से गांव नहीं आ सके तृकां पार्षद
एक सप्ताह से गांव नहीं आ सके तृकां पार्षद

जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : अब तक बंगाल की राजनीति में सुनने को मिलता था कि सत्तारूढ़ दल के आतंक से विरोधी दल के लोग घर छोड़कर फरार हैं। 29 अप्रैल को चुनाव के बाद कटवा में एक भाजपा समर्थक द्वारा सत्तारूढ़ दल के आतंक से घर छोड़ने का ताजा मामला सामने आया था। लेकिन, दुर्गापुर में ऐसी स्थिति हुई है कि तृकां के एक पार्षद ग्रामीणों के भय से गांव में नहीं घुस पा रहे हैं। वे डर से गांव छोड़ने को मजबूर हैं। एक सप्ताह से वह गांव में प्रवेश नहीं कर पाएं है। इससे तृकां नेतृत्व भी चितित है। तृकां की ओर से पार्षद को गांव लौटाने के लिए कई प्रयास किया गया। लेकिन ग्रामीणों में इतना गुस्सा है कि वे पार्षद को गांव में देखना नहीं चाहते हैं। यह स्थिति दुर्गापुर नगरनिगम के 39 नंबर वार्ड अंतर्गत आशीषनगर गांव निवासी पार्षद शशांक शेखर मंडल के साथ हुई है। दुर्गापुर शहर व‌र्द्धमान-दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत है। जहां 29 अप्रैल को चुनाव हुआ था। उस चुनाव के बाद हिसा की स्थिति शहर के 39 नंबर वार्ड में देखने को मिली थी। जहां आशीषनगर गांव निवासी माकपा एजेंट के भाई कृष्णा दास मल्लिक के घर पर एक मई की रात हमला करने का आरोप स्थानीय पार्षद शशांक व उसके समर्थकों पर लगा था। हमले में कृष्णा दास एवं उसकी पत्नी भी जख्मी हुई थी। दोनों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। पार्षद पर हमले का आरोप लगने से पूरे गांव के लोग एकजुट हो गए थे एवं उसी रात तृकां के पार्टी कार्यालय, पार्षद के घर पर हमला किया था। जहां तोड़फोड़ के साथ-साथ पार्षद व उसके भाई की पिटाई की थी। भाई को जख्मी हालत में कोलकाता रेफर किया गया था। वहीं कई तृकां कार्यकर्ता भी ग्रामीणों के हमले में जख्मी हुए थे। उस घटना के बाद से गांव वालों की एकजुटता एवं पार्षद के खिलाफ आक्रोश का नतीजा है कि अब तक पार्षद अपने गांव नहीं लौट पाएं है। एक सप्ताह बाद भी गांव वालों में आक्रोश है। वहीं चार मई को विधायक विश्वनाथ पड़ियाल ने गांव वालों के साथ बैठक की थी, ताकि ग्रामीणों को मनाया जा सके। हालांकि गांव वाले अपने निर्णय पर अडिग दिखे, जिसका नतीजा है कि विधायक के आश्वासन का भी कोई असर ग्रामीणों पर नहीं हुआ। ग्रामीणों का इतना गुस्सा एक दिन का नहीं है, बल्कि पिछले कई माह से पार्षद के आतंक को देखकर लोग एकजुट हुए है। ग्रामीणों ने पार्षद पर अत्याचार का आरोप भी लगाया था। वहीं सरकारी जमीन पर निर्माणाधीन मकान में अस्त्र व शराब रखने का आरोप लगाया था। ग्रामीण उस कमरे का ताला खुलवाने की मांग पर भी अडिग है। तृकां के जिला कार्यकारी अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने कहा कि लोगों का गुस्सा शांत करने की कोशिश की जा रही है। वे सभी लोग हमारे समर्थक है। पार्षद अपने भाई के इलाज के लिए कोलकाता में है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।

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