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जिस पांडवेश्वर में अज्ञातवास किए थे पांडव, वहां चुनाव में हो सकता तांडव

अश्विनी रघुवंशी पांडवेश्वर महज कुछ दिन पहले पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हरिपुर में

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 05:06 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 05:06 PM (IST)
जिस पांडवेश्वर में अज्ञातवास किए थे पांडव, वहां चुनाव में हो सकता तांडव

अश्विनी रघुवंशी, पांडवेश्वर : महज कुछ दिन पहले पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हरिपुर में बीरभूम के तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल ने चुनावी सभा में कहा था कि गद्दार जितेंद्र तिवारी पागल सांढ़ है। काला भैंसा है। पागल सांढ़ के साथ क्या करना चाहिए, लोग खुद तय कर लें। बंगाल में अनुब्रत मंडल कुछ बोलते हैं तो उसके बहुत मायने हैं। पांडवेश्वर में तृणमूल के लोगों को सीधा संदेश दिया गया कि किसी भी हालत में जितेंद्र तिवारी की जीत नहीं होनी चाहिए। तृणमूल उम्मीदवार नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती को भी कमतर नहीं आंक सकते। ये वही नरेंद्र नाथ हैं जिनके पास कोलकाता एयरपोर्ट में जांच के दौरान असलहा पकड़ाया था। अब वो मुकदमा खत्म हो चुका है। उन पर और भी कई मुकदमे हैं। नरेंद्र नाथ से खौफ खाने वाले लोग हैं तो उन्हें चाहने वाले भी कम नहीं। नरेंद्र नाथ के नजदीकी लोगों की मानें तो वे पांडवेश्वर का अनुब्रत बनने के ख्वाहिशमंद हैं। नरेंद्र नाथ पर दीदी ने यकीन किया है तो वे दिन रात पसीना बहा रहे हैं। वो हर जुगत लगा रहे हैं जो चुनावी नैया को पार लगा दे। जितेंद्र तिवारी निवर्तमान विधायक हैं। तृणमूल में रहे हैं। वे नरेंद्र नाथ के हर दांव पेंच को जानते हैं तो नरेंद्र को भी भली भांति पता है कि जितेंद्र क्या कमाल कर सकते हैं। प्रशासन को भी पता है कि पांडवेश्वर में चुनावी ज्वालामुखी जली हुई है। ऐसी शिकायत है कि बीरभूम के अलावा और जगहों से लोग पांडवेश्वर के गांवों में घुसे हुए हैं जो चुनाव के दौरान तांडव मचाना चाहते हैं। प्रशासन के मुखबिर गांवों में घूम रहे हैं ताकि तांडव करने बाहर से आए लोगों को पकड़ा जा सके अथवा उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर किया जा सके। अनुब्रत मंडल जितेंद्र तिवारी को गद्दार बता रहे हैं तो नरेंद्र नाथ ने उन्हें दुर्योधन की उपमा दे डाली है। जितेंद्र खुद को जनता का हनुमान बताते हैं। तृणमूल विधायक रहते जितेंद्र तिवारी ने पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र में कई मंदिर बनवाए थे। 30 से अधिक मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा कराया अथवा उनका जीर्णोद्धार कराया था। हरिपुर में राम मंदिर और दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया है तो झाझरा में सूर्य मंदिर का। हरिपुर से महज एक किमी दूर सोनपुर गांव के शिवनाथ घोष कहते हैं, जितेंद्र तिवारी अभी भाजपा में हैं। वे तृणमूल कांग्रेस में भी थे तो मंदिरों पर बहुत ध्यान दिया था। जिन मंदिरों के प्लास्टर उखड़ गए थे, वे देखने लायक हो गए हैं। कुमारडीही के उमेश मिश्रा कहते हैं, पुलवामा के शहीदों के लिए उन्होंने स्मारक बनवाया है। उस वक्त वे तृणमूल में थे। हिम्मत की बात है यह। वे बताते हैं, लॉकडाउन के दौरान 60 हजार परिवारों में राशन भेजा था। गायों के लिए बिचाली तक उन्होंने भेजी थी। गोगला के देवाशीष चटर्जी कहते हैं, जितेंद्र तिवारी के पुराने कामों पर गौर कीजिए तो ऐसा लगता है कि वे भाजपा में जाने की तैयारी में लग गए थे। उनके ऐसे एक-एक कदम पर तृणमूल के लोग गौर करते तो शायद आज की सियासत अलग होती। नरेंद्र नाथ मंदिर के मसले को हवा नहीं देना चाहते। कहते हैं, वे भी राम भक्त हैं। राम का संदेश है कि सबको गले लगाओ। पांडवेश्वर विधानसभा क्षेत्र की सियासत भी बड़ी पेचीदा है। यहां पर ईसीएल की खदानें हैं, मजदूरों की कॉलोनी है। हरिपुर, छोरा, शीतलपुर, बहुला, बंकोला, डालुरबांध, मंदारबनी, झांझरा कॉलोनी में हिदी भाषी की आबादी अधिक है। गोगला, प्रतापपुर, बालीजुड़ी, लावदोहा, इच्छापुर, जेमुवा जैसे इलाके में बांग्ला बोलने वालों की संख्या कम नहीं है। पांडवेश्वर कभी कॉमरेडों का अभेद दुर्ग होता था। हिन्दी भाषी हो अथवा बांग्ला बोलने वाले, सभी के लिए लाल सलाम का नारा बेहद प्यारा था। फिर कॉमरेडों के लाल रंग की लालिमा घटती गई। इसके बाद वाम मोर्चा के साथ टीएमसी का टकराव शुरू हुआ था। तब आरोप लगे थे कि नरेंद्र नाथ समेत कई नेताओं ने लाल झंडा के कई कार्यालयों को जला दिया था। खैर, इस बार संयुक्त मोर्चा की ओर से सीपीएम के सुभाष बाउरी को उम्मीदवार बनाया गया है। वे चुनावी राजनीति में नए हैं। न कोई विवाद न बड़ी उपलब्धि। वे वाम संगठन और तीन दलों के गठबंधन के दम पर भाजपा और तृणमूल के सीधे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगे हैं। तृणमूल समर्थक भी चाहते हैं कि संयुक्त गठबंधन मुकाबले में रहे। कारण कि लोकसभा चुनाव में खुद को कमजोर पाकर वाम मोर्चा के लोगों ने पहले राम तारपोरे वाम की रणनीति के तहत कमल फूल का बटन दबा दिया था। --- इनसेट --- चुनावी समर में जितेंद्र के साथ कंधा मिला रही चैताली जितेंद्र तिवारी हिन्दी भाषी हैं तो उनकी पत्नी चैताली बंगाली। दोनों में प्यार हुआ। फिर शादी के बंधन में बंध गए। दोनों अधिवक्ता हैं। चुनावी समर में जितेंद्र तिवारी के साथ चैताली कंधे से कंधा मिला रही है। तीन साल पहले से चैताली ने पांडवेश्वर जाना शुरू कर दिया था। बंकोला एवं केंदरा में हजारों महिलाओं के बीच साड़ी वितरण कर चैताली चर्चा में आई थी। इसके बाद छोड़ा गांव में सैकड़ों महिलाओं को शाखा पोला दिया था। शाखा पोला मतलब सुहाग ही निशानी। वे फिर चुनाव प्रचार को जा रही है। महिलाओं से वायदा कर रही है कि उनके शाखा पोला की हमेशा लाज रखी जाएगी। --- वर्जन --- विधायक रहते पांच सालों तक पांडवेश्वर को गुंडा राज से मुक्त रखा था। तृणमूल के किसी भी नेता या कार्यकर्ता को यह छूट नहीं दी कि वे आम लोगों में खौफ पैदा करे। विकास के काम तो इतने हुए हैं कि जनता खुद बोलेगी। जितेंद्र तिवारी, भाजपा उम्मीदवार पांडवेश्वर कुरुक्षेत्र है। एक तरफ तृणमूल के पांडव है तो दूसरी तरफ जितेंद्र तिवारी जैसे दुर्योधन के साथ कौरव। कुरुक्षेत्र की लड़ाई बहुत भीषण होगी। दो मई को दुर्योधन का क्या होगा, यह जनता देखेगी। दुर्योधन राज खत्म होगा। नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती, तृणमूल प्रत्याशी

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