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दो साल बाद थोड़ी खुशियां लेकर आया बाउल मेला

संवाद सहयोगी रानीगंज पश्चिम बंगाल में लोक संस्कृति पर आधारित मकर संक्रांति पर जयदेव केंद

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 11:20 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 11:20 PM (IST)
दो साल बाद थोड़ी खुशियां लेकर आया बाउल मेला
दो साल बाद थोड़ी खुशियां लेकर आया बाउल मेला

संवाद सहयोगी, रानीगंज : पश्चिम बंगाल में लोक संस्कृति पर आधारित मकर संक्रांति पर जयदेव केंदुली का बाउल मेला पिछले दो वर्षों के बाद इस वर्ष कोरोना महामारी के गाइड लाइन का पालन करते हुए लगा। दो साल बाद मेला में थोड़ी खुशी इस बात को लेकर थी कि चलो बहुत नहीं थोड़ा मौका तो मिला दो साल बाद इस मेले में आने का। मान्यता है कि यहां स्नान कर पूजा अर्चना करने वाले को गंगासागर के बराबर का पुण्य मिलता है।

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यह मेला कब और कैसे शुरू हुआ इसके बारे में रोचक कथा है कहा जाता है कि कवि साधक एवं गीत गोविद के रचयिता जयदेव हर साल मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर गंगासागर तीर्थ यात्रा पर जाया करते थे। एक बार वह बीमार पड़ गए और तीर्थ यात्रा पर जाने से असमर्थ हो गए। उन्होंने मां गंगा से प्रार्थना की कि मां क्या इस बार पुत्र की इच्छा अधूरी रहेगी। गंगा मां प्रभावित हो गई और उन्होंने उन्हें स्वप्न दिया कि मकर सक्रांति के दिन मैं खुद तुम्हारे पास आऊंगी। अजय की धारा कुछ क्षण के लिए उलटी दिशा में बहे तो इससे मेरे आगमन का प्रतीक मानना। मां गंगा की कही बात सच हुई। तभी से लोग इस मौके पर जयदेव केंदुली में अजय नदी के तट पर मकर संक्रांति पर जमा होकर गंगा स्नान का पुण्य फल प्राप्त करने आते हैं।

विविध विशेषताओं से परिपूर्ण है यह मेला : दूसरी ओर इस मेले की एक और विशेषता यह है कि इस मेले को बाउल मेला भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल के लोक संस्कृति में बाउल गीत संगीत काफी लोकप्रिय रहा है। भले ही आज आधुनिकता की वजह से यह संस्कृति सीमित हो गई है। लेकिन बाउल गीत को एक तरफ जहां सभ्यता संस्कृति को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया जाता है वहीं इसमें देवर भाभी साला साली पर्व त्यौहार पर आधारित बाउल गीत हृदय को छू जाते हैं। समय अनुसार यहां बाउल गीत संगीत के कलाकार यहां आकर अपनी प्रस्तुति विभिन्न अखाड़ों में करते रहे हैं। हरि किस्टो बाउल कहते हैं कि अब मंच पर आधुनिक गीत संगीत का बोलबाला हो गया है। परंपरा से हटकर हम लोगों को भी मंच साझा करना पड़ता है।

बहरहाल यहां मेला लगा है बड़े ही सादगी और अनुशासन का स्वरूप यहां देखने को मिल रहा है। खुशी है लेकिन जो उत्साह यहां देखने को मिलता था जगह-जगह बाउल का नृत्य संगीत अखाड़ों में भीड़ सब कुछ बदला बदला सा था। पूर्व एवं पश्चिम ब‌र्द्धमान जिला कोविद मॉनिटरिग अधिकारी समरेस कुमार बसु ने बताया कि कोविड नियम का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है मेला में प्रवेश स्थलों पर सेंटर साइजर मास्क की व्यवस्था है वही मेला में प्रवेश करने वाले को मास्क अनिवार्य है।


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