शिव जी को समर्पित सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से शुरू हो चुकी है। इसमें महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है और भक्तगण व्रत का पालन भी करते हैं।
प्रदोष व्रत हर महीने में 2 बार रखा जाता है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 1 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन गुरुवार है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।
1 अगस्त को दोपहर 3 बजकरर 28 मिनट से त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो रही है। अगले दिन 2 अगस्त को 3 बजकर 26 मिनट पर इसकी समाप्ति हो रही है।
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसे में सावन का प्रदोष व्रत 1 अगस्त को रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर भगवान शिव की पूजा के लिए मंदिर साफ करें।
इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से करें।
दिन भर व्रत करें और प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करें तथा उनके मंत्रों का जाप करें। पूजा के समय शिव जी को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं।
पूजा के बाद में शिव चालीसा का पाठ करें। धर्म और अध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें JAGRAN.COM