हिंदू धर्म में सुंदरकांड का विशेष महत्व होता है, श्रीरामचरितमानस के 7 खंडों में से यह पांचवा खंड है। सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सुंदरकांड में हनुमान जी की लीलाओं का वर्णन किया गया है। जब हनुमान जी लंका जाते हैं तो वहां पर कैसे सीता माता से मिलते हैं और रावण की लंका को किस प्रकार अपनी पूंछ से जलाते हैं?
सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।
हालांकि सुंदरकांड का पाठ करते समय कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो वांछित फल नहीं प्राप्त होते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने के लिए समय का भी ध्यान रखना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ सुबह के समय करना शुभ माना जाता है। पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
वहीं सुंदरकांड का पाठ दोपहर में 12 बजे के बाद नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दोपहर में हनुमान जी भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन रहते हैं।
अगर सुंदरकांड का पाठ शाम में करना चाहते हैं तो 4 बजे के बाद करें, पाठ शुरू करने से हनुमान जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और प्रिय चीजों का भोग लगाएं।
सुंदरकांड का पाठ मंगलवार और शनिवार के दिन किया जाता है। इसका पाठ रोजाना भी किया जा सकता है। सुंदरकांड का पाठ करते समय कभी भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है, धर्म और आध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com