महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित ग्रंथ महाभारत हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है। कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था।
यह युद्ध इतना भीषण था कि आज भी इस भूमि पर युद्ध के निशान देखे जा सकते हैं। महाभारत में ऐसे कई पात्र हैं जिनकी गलतियों के कारण उन्हें कष्ट सहने पड़े।
युधिष्ठिर को धर्मराज भी कहा जाता था, क्योंकि उन्हें धर्म का ज्ञान था। लेकिन इसके बाद भी उन्हें जुए में अपना सब कुछ हारना पड़ा। इससे व्यक्ति को यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।
कर्ण महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण किरदारों में से एक है। वह महाभारत का सबसे शक्तिशाली योद्धा में से था, लेकिन फिर भी उसे हार का सामना करना पड़ा।
ऐसे में कर्ण से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें कभी भी दुष्ट लोगों का उपकार नहीं लेना चाहिए। क्योंकि दुर्योधन के उपकार के चलते ही कर्ण को युद्ध में अधर्म का साथ देना पड़ा जो अंत में उसकी मृत्यु का कारण बना।
दुर्योधन, जो महाभारत के नकारात्मक पत्रों में से एक है, उसके चरित्र से भी मनुष्य बहुत कुछ सीख सकता है। हस्तिनापुर का राजकुमार होने के बावजूद दुर्योधन को अंत में हार ही मिली।
ऐसे में हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में जिद्द और दूसरों की चीजों पर अधिकार जमाना हमारे लिए मुसीबत बन सकता है।
दुर्योधन के पिता, धृतराष्ट्र पुत्र के मोह में इतने अंधे हो चुके थे कि सही-गलत के बीच का अंतर जानते हुए भी उन्होंने हमेशा अपने पुत्र का ही साथ दिया।
गलत बात में साथ न दें इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई आपका कितना भी प्रिय क्यों न हो, लेकिन गलत बात में उसका साथ नहीं देना चाहिए।