इस्लाम धर्म में मुसलमानों के अंतिम संस्कार के नियम को सुपुर्द ए खाक कहा जाता है। मुसलमानों में किसी शख्स की मृत्यु के बाद उसे दफनाए जाने की परंपरा है।
इस्लाम में अगर किसी शख्स की मृत्यु हो जाए तो वहां उपस्थित लोग उस व्यक्ति के लिए
इसका अर्थ होता है, वास्तव में हम अल्लाह के हैं और हम उसी की ओर लौटेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि सुपुर्द-ए-खाक को अंजाम देने की क्या प्रक्रिया है।
किसी भी मुसलमान को दफन करने से पहले उसे गुस्ल (स्नान) दिया जाता है। करीबी रिश्तेदार और परिवार के लोगों के जरिए गुस्ल देना ज्यादा अच्छा माना गया है।
गुस्ल देने के बाद मय्यत (शव) को कफन में लपेटा जाता है। कफन सफेद कपड़ा होता है और बिना सिला हुआ होता है।
कफन में लेपेटे जाने के बाद मय्यत को नमाज-ए-जनाजे के लिए ले जाया जाता है, नमाज-ए-जनाजा कब्रिस्तान या मस्जिद में अदा की जाती है।
नमाज-ए-जनाजा के बाद मय्यत को कब्र में दफन किया जाता है। इस तरह से एक मुसलमान की आखिरी रस्म पूरा की जाती है।
दफन किए जाने के बाद कब्र पर मिट्टी डाली जाती है और एक शख्स तीन बार मिट्टी डालता है और लोग अपने दोनों हाथों से मिट्टी डालते हैं।
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