होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को खेली जाती है। इससे एक रात पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
होली पर सभी गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि नकारात्मकता को खत्म कर देती है।
होलिका दहन की अग्नि में कई तरह की विशेष चीजें अर्पित की जाती है। इसी तरह कच्चा सूत भी अर्पित किया जाता है।
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि होलिका दहन की अग्नि में कच्चा सूत क्यों चढ़ाया जाता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्राचीन काल से ही लोग इस रात होलिका दहन की लकड़ियों पर कच्चा सूत लपेटकर और गाय के गोबर के उपले इकट्ठा करके होलिका की पूजा करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में कच्चे सूत को बहुत पवित्र माना जाता है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में कच्चे सूत का उपयोग किया जाता है। होलिका के चारों ओर कच्चा सूत सात या तीन बार लपेटा जाता है।
इसी प्रकार होलिका दहन के समय अग्नि की परिक्रमा के साथ कच्चे सूत को अर्पित करने का विधान है।
कच्चे सूत को होलिका में लपेटकर होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करने से कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है और शनि दोष से भी राहत मिलती है।