वास्तु शास्त्र में गृह निर्माण से लेकर घर की सजावट तक में वास्तु के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।
भारत में दैविक काल से ही वास्तु के नियमों का पालन किया जा रहा है। हालांकि कुछ लोग घर और स्टडी रूम में वास्तु के नियमों को अनदेखा कर देते हैं।
यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो आप भी स्टडी रूम के लिए वास्तु के इन नियमों का पालन कर सकते हैं।
वास्तु के अनुसार स्टडी रूम हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए। अन्य दिशा में बच्चे की पढ़ाई में रुचि नहीं लगती है।
स्टडी रूम में सिटिंग इस तरह होनी चाहिए कि बच्चे की दिशा दक्षिण दिशा की ओर न हो। क्योंकि इस दिशा में अग्नि की प्रधानता होती है।
स्टडी रूम में टेबल पर पठन-पाठन की सामग्री रखना शुभ माना जाता है। इसके लिए ग्लोब या पिरामिड रख सकते हैं।
स्टडी रूम में मां शारदा और बल, बुद्धि एवं विद्या के प्रतीक हनुमान जी का चित्र अवश्य लगाएं। इससे बच्चे की एकाग्रता बढ़ती है।
बच्चे को रोजाना सुबह स्नान ध्यान के बाद हनुमान चालीसा और सरस्वती चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
स्टडी रूम में अलमारी हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। साथ ही अध्ययन के समय बच्चे का मुख पूर्व की दिशा में रहें।