चन्द्रगुप्त मौर्य के समकालीन आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे। तत्कालीन समय में उन्होंने भारत की सीमा का व्यापक विस्तार किया।
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र और अर्थशास्त्र की रचना की है। नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन भर दुखी रहने वाले लोगों के बारे में बताया है।
इन लोगों के बारे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि ये लोग अपने जीवन में कभी तरक्की और उन्नति नहीं कर पाते हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानें।
जो व्यक्ति अपनी आत्मा से द्वेष भाव रखता है, उस व्यक्ति का नाश अवश्य होता है। आत्मा अजन्मा और नश्वर है। अतः आत्मा से द्वेष भाव नहीं रखना चाहिए।
इसी प्रकार दूसरे के धन के प्रति द्वेष भाव रखने वाले लोग अपने जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाते हैं।
ऐसे लोग जो राजा से वैर भाव रखते हैं, उनका नाश निश्चित होता है। ऐसे लोग भी हमेशा दुखी रहते हैं। जबकि, ब्राह्मणों से द्वेष रखने वाले लोगों का कुल नाश हो जाता है।
जिनकी माता ममता की मूर्ति मां लक्ष्मी हैं और पिता जगत के पालनहार भगवान विष्णु हैं और उनके भक्त भाई-बहन हैं, वे लोग भूलोक में ही स्वर्ग समान सुख प्राप्त करते हैं।
ऐसे लोग अपने जीवन में खूब तरक्की करते हैं। साथ ही मृत्यु उपरांत भगवत्-धाम जाते हैं।
अगर आपके अंदर भी यही आदतें हैं तो तुरंत त्याग दें। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com