आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
आचार्य चाणक्य अपनी कूटनीति चाल से शत्रु पर अंकुश लगाने में माहिर थे। उनके विचारों और कथनों का पालन कर चन्द्रगुप्त सम्राट तत्कालीन समय में सम्राट बने थे।
आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में व्यक्ति के गुणों और अवगुणों पर प्रकाश डाला है। उनकी मानें तो कुछ लोग नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्म लेते हैं।
आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के सातवें अध्याय के सोलहवें श्लोक में कहते हैं कि स्वर्ग का सुख भोगकर धरती पर जन्म लेने वाले लोग में ये चार गुण पाए जाते हैं।
ये मधुरभाषी होते हैं, दान-पुण्य करते हैं, ईश्वर की भक्ति-उपासना करते हैं और ब्राह्मणों को दान देते हैं। यकीनन ऐसे लोग स्वर्ग लोक से सुख भोगकर धरती पर जन्म लेते हैं।
आचार्य चाणक्य नरक लोक से दुख भोगकर धरती पर जन्म लेने वाले के बारे में कहते हैं कि ऐसे लोगों की पहचान चार अवगुणों से होती है।
ये कटु भाषी होते हैं, निर्धन होते हैं, नीच लोगों से संगति करने वाले होते हैं और परिवारजनों एवं मित्रों से दुष्ट और वैर भावना रखने वाले होते हैं।
ऐसे लोग न इस लोक और न ही ऊपर के लोक में सुखी रह पाते हैं। जीवनभर दुखी ही रहते हैं।
अगर आपकी भी आदतें इन चार अवगुण में से कोई भी है तो आज ही ये आदतें सुधार लें। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com