सनानत धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दौरान स्नान-दान करने का विधान होता है। आइए जानते हैं कि आश्विन मास में शरद पूर्णिमा कब है?
पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन मास की शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान होता है।
पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा।
इस दिन सुबह गंगा में या पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसके बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल अर्पित करें।
शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा शुभ होता है। इस दौरान पीले रंग का फल, फूल, वस्त्र अर्पित करके विष्णु चालीसा का पाठ करें।
आश्विन मास की शरद पूर्णिमा पर दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से साधक को किसी भी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
शरद पूर्णिमा पर पूजा करते समय ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।
शरद पूर्णिमा पर तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, इस दिन नाखून और बाल न काटें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
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