सावन माह भगवान शिव को समर्पित रहता है। इस महीने में हर दिन भोलेनाथ की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि सावन में अंतिम प्रदोष कब है?
पंचांग के अनुसार, सावन में प्रदोष व्रत 17 अगस्त को है। इस दिन शनिवार पड़ रहा है। इस दिन शिव जी की विधि-विधान से पूजा की जाता है।
पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 17 अगस्त को सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 18 अगस्त को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगा।
17 अगस्त को शाम 06 बजकर 58 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 11 मिनट पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है। इस दौरान पूजा करने से मनोकामना पूरी होगी।
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के अंतिम प्रदोष व्रत पर प्रीति योग, आयुष्मान योग और दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पूजा करने से सफलता मिलती है।
सावन प्रदोष पर शिव मंदिर में जाकर दूध, दही और पंचामृत के भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
सावन में प्रदोष व्रत के दौरान रुद्राभिषेक करते समय शिवलिंग पर सुपारी अर्पित करें। ऐसा करने से जीवन में आ रही परेशानियां दूर होने लगती है।
प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर इन चीजों को अर्पित करने से कार्यों में सफलता मिलती है। इसके साथ ही, व्यक्ति जीवन में तरक्की करता है।
साल-भर पड़ने वाले त्योहार और विशेष तिथियों के बारे में जानने समेत अध्यात्म से जुड़ी तमाम जानकारियों के लिए जुड़े रहें jagran.com के साथ