हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है, कर्कोटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है।
कर्कोटक कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को धन की हानि होती है। कारोबार में नुकसान होता है। आय की स्थिति कमजोर हो जाती है। सेहत संबंधी परेशानी भी होती है।
आज हम आपको कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाने से व्यक्ति को कर्कोटक कालसर्प दोष से छुटकारा मिल सकता है? आइए इन उपायों के बारे में जानें।
ज्योतिषियों का मत है कि कर्कोटक कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को रोजाना महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
सोमवार और शनिवार के दिन गंगाजल से देवों के देव महादेव का अभिषेक करें। साथ ही पूजा के समय रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और 5 मंगलवार का व्रत करें। इसके साथ ही हनुमान जी को चमेली के तेल में बना हुआ सिंदूर और बूंदी के लड्डू भी चढ़ाएं।
अगर आपकी कुंडली में कर्कोटक कालसर्प दोष है, तो सोमवार के दिन किसी नदी में जाकर शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।
इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com