नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप को समर्पित है। मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही विकराल है, लेकिन मां का ह्रदय बेहद ही कोमल है।
वहीं इस दिन मां की पूजा विधि विधान के साथ की जाए, तो मां साधक के सभी शत्रुओं को शांत करती हैं।
ऐसे में अगर आप मां को जल्द प्रसन्न करना चाहते हैं, तो महाकाली चालीसा का पाठ करें। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ । तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥ ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥॥
ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम। त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥
अरि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥ अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥ दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥ अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com