भैरव जयंती का पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में प्रातः काल से काल भैरव देव की पूजा-अर्चना की जा रही है।
काल भैरव की पूजा निशा काल में होती है। तंत्र सीखने वाले साधक आज निशा काल में कठिन साधना करते हैं।
काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो आज विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भैरव चालीसा और उनकी आरती करें।
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा । जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥ जय भैरव देवा...
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक । भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥ जय भैरव देवा...
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी । महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ जय भैरव देवा...
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे । चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥ जय भैरव देवा...
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