गुरगृहं गए पढ़न रघुराई। अलप काल बिद्या सब आई।।
रामकथा सुन्दर कर तारी। सं शय बिहग उड़व निहारी।।
राजीव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।
दीन दयाल बिरिदु सं भारी। हरहु नाथ मम सं कट भारी।।
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।
गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्पकाल विद्या सब आई।।
सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना। सरनागत बच्छल भगवाना।।