सनातन धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि पूजा-पाठ के दौरान सभी विधियों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, वैदिक मंत्रों के उच्चारण से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन मंत्रों का गलत उच्चारण करने के कारण उन्हे उचित फल नहीं मिल पाता है।
आचार्य श्याम चंद्र मिश्र के अनुसार, मंत्रों का जाप करते समय यदि व्यक्ति को मंत्र कठिन लग रहा है तो उसे किसी पुरोहित व आचार्य से मंत्र का शुद्ध उच्चारण सीख कर फिर जाप करना चाहिए।
किसी अनुष्ठान व मांगलिक कार्य में मंत्रों का उच्चारण एक पुरोहित से ही कराना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें मंत्र जटिल होते हैं और इनमें अशुद्ध उच्चारण होने की सम्भावना कई गुना अधिक होती है।
ध्यान व योग क्रिया में 'ॐ' का उच्चारण अधिकांश समय किया जाता है। साथ ही 'ॐ' के उच्चारण से न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि व्यक्ति मानसिक तनावों से भी दूर रहता है।
बता दें कि 'ॐ' शब्द के रूप में नहीं बल्कि ध्वनि के रूप में कार्य करता है। इसलिए इसका उच्चारण शांत जगह पर पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय व्यक्ति शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ इस मंत्र का जाप निश्चित संख्या में ही किया जाना चाहिए।