भगवान श्री कृष्ण का प्रिय मास अर्थात मार्गशीर्ष मास आज यानि 9 नवम्बर से शुरू हो चुका है। इस मास को पूजा-पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
श्री कृष्ण ने गीता में इस मास को श्रेष्ठ बताया है। ऐसा इसलिए क्योंकि किवदंतियों के अनुसार इसी माह की पहली तिथि से ही सतयुग में देवताओं ने वर्ष प्रारम्भ किया था।
मार्गशीर्ष मास में 'ॐ दामोदराय नमः' मंत्र का दिन में 108 बार उच्चारण जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से कार्य में आ रही सभी बाधाएं समाप्त हो जाते हैं। साथ ही भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं।
मार्गशीर्ष मास में श्री कृष्ण के प्रिय भगवत गीता, गजेन्द्रमोक्ष और विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ जरूर करें। मान्यता है कि इन स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
मार्गशीर्ष मास में शंख की विशेष पूजा की जाती है। इसलिए नितदिन पूजा करते समय शंख में गंगाजल डालें और पूजा के बाद उस जल का छिड़काव पूरे घर में कर दें। इससे पारिवारिक कलह से मुक्ति मिलती है।
मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें और पूजा के समय भगवान विष्णु को तुलसी पत्र जरूर अर्पित करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की आराधना करनी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ही चंद्र देव को औषधीय गुण प्राप्त हुए थे।