मेजर ध्यानचंद का हॉकी खेल में पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं था।
मेजर ध्यानचंद ने करीब 22 साल तक भारत के लिए हॉकी खेला और इस दौरान 400 से अधिक इंटरनेशनल गोल दागे।
ध्यानचंद ने लगातार तीन ओलंपिक 1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजेलिस और 1936 में बर्लिन में भारत को हॉकी खेल में अपने दम पर स्वर्ण पदक दिलाया था।
ध्यानचंद को दुनिया में लगभग 55 देशों के 400 से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए।
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जब हॉकी खेलते थे तो मानो ऐसा लगता था कि जैसे गेंद उनकी स्टिक से चिपक गई हो।
कहानी साल 1936 में हुए बर्लिन ओलंपिक की है। जर्मनी के खिलाफ खेले गए हॉकी के मुकाबले में भारत ने उस पर 8-1 से बेहतरीन जीत दर्ज की थी।
उस मैच में एडोल्फ हिटलर भी मौजूद था, जो मेजर ध्यानचंद का खेल देखकर उनका मुरीद हो गया था।
मैच के बाद हिटलर ने मेजर ध्यानचंद से मुलाकात की और उन्हें अपनी सेना में बड़े पद का प्रस्ताव दिया, जिसे मेजर ध्यानचंद ने बड़ी ही विनम्रता ठुकरा दिया था।