सनातन धर्म में एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
इस दिन व्रत भी रखा जाता है। ऐसा करने से साधक को न केवल अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा मनचाहा वर की भी प्राप्ति होती है।
अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सावन पुत्रदा एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें।
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर पुत्रदा एकादशी क्यों मनाई जाती है? आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
भविष्य पुराण में सावन पुत्रदा एकादशी का वर्णन निहित है। इस शास्त्र के अनुसार, राजा महीजित महिष्मती को कोई संतान थी।
उस समय उन्होंने ऋषि की सलाह पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा था।
इस व्रत के पुण्य-प्रताप से राजा महीजित महिष्मती को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। तत्कालीन समय से यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, पुत्रदा एकादशी का काफी महत्व है। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com