इस्लाम धर्म में ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का विशेष महत्व होता है। जानकारी के लिए बता दें, कि रबी-उल-अव्वल महीने की 12वीं तारीख को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाई जाती है।
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों मनाई जाती है ईद-ए-मिलाद? आइए इसके बारे में विस्तार से जानें, ताकि आपको सही जानकारी हो सकें और आप दूसरों को भी बता सकें।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन पैगंबर मोहम्मद का जन्म हुआ था और इंतकाल भी इसी दिन हुआ था। कुछ लोग इसे शोक के रूप में मनाते हैं।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म 571 ईस्वी में सऊदी अरब में हुआ था और 632 ईस्वी में उनका इंतकाल हो गया था।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और मस्जिद में सजदा करने जाते हैं। इस दिन पर दरगाह चादर भी चढ़ाई जाती है।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन-ज्यादा-से-ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में गुजारा जाता है और रो-रोकर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
पैगंबर मुहम्मद का जन्म लगभग 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के संस्थापक थे। मोहम्मद साहब एक ईश्वर में यकीन रखते थे।
इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com