आज हम आपको सूर्य देव की पत्नी और उनकी संतानों के बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि आप इस बारे में अवगत हो सकें।
धर्मराज या यमराज सूर्य के सबसे बड़े पुत्र हैं और वे मृत्यु के देवता कहलाते हैं। मनुष्य के कर्मों के अनुसार उनकी मृत्यु और दंड को निर्धारित करने का अधिकार यम के पास ही है।
यमी यानी यमुना नदी सूर्य की दूसरी संतान और ज्येष्ठ पुत्री हैं जो अपनी माता संज्ञा को सूर्यदेव से मिले आशीर्वाद चलते पृथ्वी पर नदी के रूप में प्रसिद्ध हुईं।
सूर्य और उनकी पहली पत्नी संज्ञा की तीसरी संतान वैवस्वत मनु वर्तमान हैं। जो मन्वन्तर के अधिपति हैं। उन्होंने मनुस्मृति की रचना की।
सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया की प्रथम संतान है शनिदेव, जिन्हें कर्मफल दाता और न्याय अधिकारी भी कहा जाता है।
सूर्य और छाया की चौथी संतान हैं सावर्णि मनु। वैवस्वत मनु की ही तरह वे इस मन्वन्तर के पश्चात अगले यानी आठवें मन्वंतर के अधिपति होंगे।
सूर्य की सबसे छोटी और संज्ञा की छठी संतान हैं रेवंत, जो उनके पुनर्मिलन के बाद जन्मी थी। रेवंत सूर्य रथ के सारथी के रूप में निरन्तर भगवान सूर्य की सेवा में रहते हैं।
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