अगर आप कॉन्ट्रासेप्शन की बात करें, तो इसे हिंदी में गर्भनिरोध भी कहा जाता है और कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में कई ऐसी बातें प्रचलित है, जिनका कोई आधार ही नहीं है और ये केवल डर फैलाने का काम करती है।
आज हम आपको डॉ. क्षितिज मुर्डिया (निदेशक, इन्दिरा आईवीएफ हॉस्पिटल लिमिटेड) के जरिए कॉन्ट्रासेप्शन से जुड़े कुछ ऐसे मिथकों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए।
समाज में ऐसी धारणा प्रचलित है कि गर्भनिरोधक गोलियां, आईयूडी या इन्जेक्शन लेने से महिलाएं स्थायी रूप से मां नहीं बन सकतीं। यह बात पूरी तरह से सच नहीं है।
अगर लंबे समय तक गर्भनिरोध लेने से फर्टिलिटी पर कोई खास असर नहीं पड़ता। गर्भनिरोध और फर्टिलिटी का कोई खास कनेक्शन नहीं होता। आप इस बात पर यकीन न करें।
अगर आप ऐसा मानते हैं कि गर्भनिरोध का लगातार इस्तेमाल नुकसानदेह है और बीच-बीच में ब्रेक लेना चाहिए। ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। हालांकि सही तरीके से कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करें।
गर्भनिरोध ओव्यूलेशन या यूटेरस को नुकसान पहुंचाती है। ऐसा नहीं है। यह केवल अस्थायी रूप से ओवुलेशन रोकते हैं या यूटेरस की परत और सर्वाइकल म्यूकस को बदलते हैं।
गर्भनिरोधक गोलियां कभी भी बांझपन का कारण नहीं बनती हैं क्योंकि गर्भनिरोधक रोकने के बाद प्रजनन क्षमता आम तौर पर सामान्य हो जाती है। यह महज एक मिथक है।
लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं। लाइफस्टाइल से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com