आप सभी ने यह मुहावरा तो जरूर सुना होगा कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। आप जानते हैं कि आखिर यह मुहावरा कब और कैसे प्रचलन में आया?
आज हम आपको खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे मुहावरे का इतिहास बताएंगे। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें, ताकि आपको सही जानकारी हो सकें।
हम आपको खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे मुहावरे का इतिहास बताने से पहले इसका अर्थ बताएंगे। इस मुहावरे का अर्थ है कि बुरी तरह से हारने के बाद हार स्वीकार न करके सामने वाले पर रौब दिखाना।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे मुहावरे का इतिहास की बात करें, तो एक बार हमारे पूर्वजों ने किसी बिल्ली को काम करते हुए देखा और वह बिल्ली बार-बार काम में असफल हो रही है।
असफल होने के बाद वह बिल्ली गुस्से में आकर पास के खंभे या दीवार को पंजों से नोचने लगी। जिसके बाद हमारे पूर्वजों के मुंह से यह मुहावरा निकला कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
धीरे-धीरे यह मुंहावरा चलन में आ गया। आज यह मुहावरा काफी फेमस हो गया है। जब-जब इंसान हारने के बावजूद अपनी हार स्वीकार नहीं करता, तब-तब यह मुहावरा इस्तेमाल किया जाता है।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे मुहावरे के अलावा क्या आपको रत्ती भर लाज नहीं मुहावरे का इतिहास पता है? यह कब और कैसे चलन में आया? आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।
रत्ती भर लाज नहीं मुहावरे का कनेक्शन रत्ती के बीजों से है। इन बीजों की खासियत है कि इनका वजन कभी कम नहीं होता। इन बीजों की खूबी के चलते यह मुहावरा बन गया कि रत्ती भर लाज नहीं।
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