सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन काल भैरव की पूजा होती है। आइए जानते हैं कि कालाष्टमी कब है?
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 मई 2025 है। इस दिन विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से संकट दूर होने लगते हैं।
पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी तिथि 20 मई को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 21 मई को सुबह 04 बजकर 55 मिनट पर होगा।
कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इसके साथ ही, पहले से रुके हुए कार्य भी होने लगते हैं।
कालाष्टमी पर भैरव बाबा को बेल पत्र, फल और फूल अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें। इससे काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है।
कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करते समय ॐ कालभैरवाय नमः या ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं मंत्र का जाप करें। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं।
कालाष्टमी पर भैरव बाबा की पूजा करते समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
काल भैरव की इस विधि से पूजा करने से जीवन में आने संकट दूर होते हैं। इसके साथ ही, बिगड़े हुए कार्य बनने लगते हैं।
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