सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व होता है। हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है।
इस साल कालाष्टमी तिथि 30 मई को सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 31 मई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर होगा।
कालाष्टमी पर निशा काल में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव का पूजा की जाती है। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
इस अवसर पर भगवान शिव की मंदिरों को सजाया जाता है। इस दौरान सिद्धि प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान किया जाता है। ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है।
कालाष्टमी के दिन पर बव और बालव करण के योग का निर्माण हो रहा है। इसे योग में काल भैरव की पूजा करना शुभ माना जाता है।
कालाष्टमी के दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को अनाज और कपड़े दान करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है।
कालाष्टमी पर काल भैरव को भोग लगाना चाहिए। इस दौरान जलेबी और मिठाई का बोग लगाने से भैरव प्रसन्न होते हैं।
कालाष्टमी के दिन तामसिक चीजों को खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा किसी भी व्यक्ति का अपमान न करें।
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