नागा साधु, साधु-संतों से ऊपर माने जाते हैं। नागा साधु कभी कपड़े नहीं पहनते हैं। वे कपकपाती ठंड में भी हमेशा नग्न अवस्था में ही रहते हैं।
यह अपने शरीर पर धुनी या भस्म लपेटकर घूमते हैं। आज हम आपको नागा साधुओं से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।
नागा साधु बनने में तकरीबन 12 साल लगते हैं। जिसमें कि शुरू के 6 साल बेहद ही जरूरी माने जाते हैं।
इस अवधि में वे नागा पंथ में शामिल होने के लिए जरूरी जानकारियां प्राप्त करते हैं। इस दौरान लंगोट के अलावा और कुछ भी नहीं पहनते।
जैसे ही 12 साल की अवधि पूरी हो जाती है, वह कुंभ मेले में प्रण लेने के बाद वह इस लंगोट का भी त्याग कर देते हैं और जीवनभर नग्न अवस्था में ही रहते हैं।
नागा साधु बनने के लिए सबसे पहले ब्रह्मचर्य की शिक्षा दी जाती है। इसके बाद उन्हें महापुरुष की दीक्षा दी जाती है और फिर यज्ञोपवीत होता है।
इसके बाद वे अपने परिवार और स्वयं अपना पिंडदान करते हैं और ये अपना सारा जीवन कुटिया बनाकर व्यतीत करते हैं।
नागा साधु एक दिन में 7 घरों से भिक्षा मांग सकते हैं। यदि इन घरों से भिक्षा मिली तो ठीक वरना इन्हें भूखा ही रहना पड़ता है।
नागा साधुओं से जुड़े रोचक तथ्य सभी को जानने चाहिए। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com