ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है, इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत का पालन करती हैं।
वट सावित्री का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा। व्रती महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और पेड़ के नीचे वट सावित्री व्रत की कथा सुनती हैं।
वट सावित्री व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर लाल रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद बरगद के पेड़ के नीचे सफाई करें।
इसके बाद स्थान की शुद्धि के लिए गंगाजल से छिड़काव करें और फिर बांस की टोकरी में सप्तधान्य भरकर उसमें ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद दूसरी टोकरी में सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें, इसके बाद दूसरी टोकरी को पहली के बाईं तरफ रखें।
टोकरियों को बरगद के पेड़ के नीचे इस प्रकार रखें कि दूसरी टोकरी पहली के बाईं तरफ हो, इसके बाद पेड़ पर चावल के आटे की छाप लगाएं।
इसके बाद बरगद के पेड़ पर जल अर्पित करें और फिर परिक्रमा करें, बाद में वट सावित्री व्रत की कथा सुनें और बड़ी व्रती महिलाओं का आशीर्वाद लें। जरूरतमंद लोगों को भोजन व कपड़ों का दान करें।
वट सावित्री व्रत के दिन इस प्रकार पूजा करें, धर्म और आध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com