प्रदोष व्रत शिव जी को समर्पित होता है, इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार पड़ता है।
वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत पड़ रहा है, यह दिन रविवार को पड़ रहा है, इस वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
इस दिन व्रत का पालन करने से और शिव जी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के संकट हरते हैं।
रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त रविवार शाम 5 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अगले दिन दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
इस दिन प्रदोष काल का समय शाम 6 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। प्रदोष काल में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
प्रदोष काल में भक्तगण सूर्यास्त के बाद स्नान करें और मंदिर की सफाई करें और फिर पूजा के लिए बैठें। इसके बाद एक वेदी पर शिव जी की मूर्ति रखें।
शिव जी की पूजा करते समय गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें। वहीं शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, फूल, चंदन अर्पित करें।
इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और पंचाक्षरी मंत्र का भी जाप करें। इसके बाद भगवान शिव को मिठाई का भोग लगाएं और बाद में शिव आरती का पाठ करें।
रवि प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से शिव जी की पूजा करने पर जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धर्म और आध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें jagran.com