राहु-केतु के प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष में बताए उपाय करने चाहिए। आइए जानते हैं कि कुंडली में राहु-केतु दोष से बचने के लिए किन कवच का पाठ करना चाहिए?
राहु-केतु दोष को दूर करने के लिए पूजा के बाद कवच का पाठ करना चाहिए। इससे धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमंत्रस्य चंद्रमा ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः । रां बीजं । नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः। प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिन्, सैन्हिकेयं करालास्यं लोकानाम भयप्रदम्।
निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः, चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान्। नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम, जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः।
अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमंत्रस्य त्र्यंबक ऋषिः। अनुष्टप् छन्दः। केतुर्देवता । कं बीजं। नमः शक्तिः। केतुरिति कीलकम् I केतुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः। इस कवच का पाठ करें ।
केतु करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम्, प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम्। चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः, पातु नेत्रे पिंगलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः।
घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः, पातु कंठं च मे केतुः स्कंधौ पातु ग्रहाधिपः। हस्तौ पातु श्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः, सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः।
कुंडली में राहु-केतु दोष को दूर करने के लिए शनिवार के दिन लौंग का दान करना चाहिए। ऐसा करने से राहु-केतु दोष दूर होने लगते हैं।
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