दिवाली के त्योहार से पहले ही बाजार में रौनक आ जाती है, पूरे देश में लोग सोने-चांदी से लेकर कई कीमती चीजें खरीदते हैं।
बच्चे और युवा पटाखों के बिना नहीं रह सकते हैं और इसे खरीदने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं, शायद ही किसी ने पटाखों के बिना दिवाली मनाई होगी।
देश के कई राज्यों में पटाखों से होने वाला प्रदूषण भी तेजी से फैला है, देश के कई राज्यों में पटाखों को फोड़ने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
पटाखों का अविष्कार चीन में हुआ था, इस देश में पटाखों का इस्तेमाल बुरी ताकतों को भगाने के लिए किया जाता था।
चेन्नई से 540 किलोमीटर दूर विरुधुनगर जिले में शिवकाशी पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक है, शिवकाशी देश में पटाखों के उत्पादन का आधा हिस्सा है।
पटाखों के अलावा शिवकाशी शहर माचिस का सबसे बड़ा निर्माण केंद्र है।
शिवकाशी को भारत का लिटिल जापान ऑफ इंडिया भी कहा जाता है।