सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है। उस दौरान कई कार्य करना वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं कि कब तक मांगलिक कार्य बंद रहेंगे?
हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी मनाई जाती हैं। इस बार 17 जुलाई को यह तिथि है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी होगी।इसी दिन यानी 12 नवंबर 2024 को चातुर्मास का समापन होगा।
चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, तिलक, विदाई और गृह प्रवेश करना वर्जित माना जाता है। इन कार्यों को करना अशुभ माना जाता है।
चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। वहीं, कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं।
चातुर्मास में गीता, सुंदरकांड, रामायण का पाठ करना बेहद लाभकारी माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होने लगती हैं।
चातुर्मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
चातुर्मास के दौरान अंडे, मछली, मांस, प्याज और लहसुन जैसी तामसिक चीजों को खाने से बचना चाहिए। इस मास में सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
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